क्राइमवायरल

Rewa news: सोम रस” में डूबा रीवा, अवैध शराब पर पुलिस की चुप्पी सवालों के घेरे में वीडियो वायरल

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Rewa news: रीवा, मध्य प्रदेश: विंध्य क्षेत्र का हृदय कहे जाने वाले रीवा शहर में इन दिनों “सोम रस” यानी अवैध शराब का कारोबार धड़ल्ले से फल-फूल रहा है, और हैरान करने वाली बात यह है कि इस पर अंकुश लगाने में पुलिस प्रशासन पूरी तरह नाकाम दिख रहा है। शहर के कोने-कोने में, गली-मोहल्लों में अवैध शराब खुलेआम बिक रही है, जिसने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल भी क्यों न खड़े हो जब चोरहटा थाने के पुलिस कर्मी ही कार्यवाई करने के बजाए तस्करों का साथ देते हो ।

साची डेयरी के पास सोम रस

सबसे चौंकाने वाली स्थिति चोरहटा थाना क्षेत्र से लेकर बेला साची डेयरी तक देखने को मिल रही है, जहाँ नशे के सौदागरों ने अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया है।ऐसा प्रतीत होता है कि इस गोरखधंधे को चलाने में कुछ पुलिसकर्मियों की मिलीभगत है, क्योंकि लगातार मिल रही शिकायतों और मीडिया की खबरों के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही।

मीडिया की सूचना के बाद लोकेशन लीक

सूत्रों की मानें तो जब मीडिया या जागरूक नागरिक अवैध शराब के ठिकानों की सूचना पुलिस को देते हैं, तो कार्रवाई के बजाय अक्सर लोकेशन लीक कर दी जाती है, जिससे तस्करों को बचने का मौका मिल जाता है। यह आरोप गंभीर है और इसकी गहन जांच की आवश्यकता है।

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फोन कॉल्स ट्रेस से खुल सकता है राज

स्थानीय निवासियों का कहना है कि यदि चोरहटा थाने के पुलिसकर्मियों के फोन कॉल्स की जांच की जाए, तो अवैध शराब तस्करों के साथ उनकी सांठगांठ का पूरा राज खुल सकता है। यह आरोप सीधे तौर पर कानून प्रवर्तन एजेंसियों की ईमानदारी पर प्रश्नचिह्न लगाता है और तत्काल उच्च स्तरीय जांच की मांग करता है।

युवाओं का भविष्य खतरे में

रीवा में अवैध शराब का यह बेखौफ कारोबार न केवल कानून-व्यवस्था के लिए खतरा बन रहा है, बल्कि युवाओं को नशे की गर्त में धकेल कर उनके भविष्य को भी अंधकारमय कर रहा है। अब देखना यह है कि प्रशासन कब इस गंभीर समस्या पर संज्ञान लेता है और “सोम रस” के इस मकड़जाल को तोड़ने के लिए क्या कड़े कदम उठाता है।

 

चोरहटा थाना क्षेत्र के सांची डेयरी के पास पूर्व में भी अवैध शराब की बिक्री करने का वीडियो वायरल हुआ था मगर पुलिस ने कार्रवाई के बजाय तस्करों को फोन कर वहां से भागने की हिदायत दे दी थी जब जब मीडिया वहां खबर कवरेज करने जाती है तो इसकी भनक पुलिस के माध्यम से तस्करों को जरूर लग जाती है कहीं ना कहीं  पुलिस की पूरी कार्रवाई सवालों के घेरे पर है आखिर पुलिस तस्करों को संरक्षण क्यों देती है क्या जनता से टैक्स में बसूली गए पैसे सरकार के द्वारा दिए गए वेतन  में नहीं चल पाता इनका खर्चा ।

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