Mp newsशहडोल जिले में मछली पकड़ने पर प्रतिबंध के बावजूद ब्यौहारी मंडी में अवैध मछली व्यापार जारी
Mp news: मध्य प्रदेश: शहडोल जिले में मछली पकड़ने की गतिविधियों पर कड़े प्रतिबंध के बावजूद, ब्यौहारी मंडी में खुलेआम मछली बिकने की खबरें सामने आई हैं, जिससे प्रशासनिक आदेशों और मध्य प्रदेश नदीय मत्स्य उद्योग अधिनियम 1972 के उल्लंघन पर चिंता बढ़ गई है।
पी.आर.ओ. जनसंपर्क शहडोल द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, मध्य प्रदेश नदीय मत्स्य उद्योग अधिनियम 1972 की धारा-3(2) के तहत 16 जून से 15 अगस्त 2025 तक की अवधि को मछली पकड़ने के लिए ‘बंद ऋतु’ घोषित किया गया है। इस अवधि के दौरान, जिले के सभी तालाबों, जलाशयों, नदियों और नालों में मछली पकड़ना, परिवहन, क्रय-विक्रय सहित मछली से संबंधित सभी प्रकार की गतिविधियां पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं।
कलेक्टर डॉ. केदार सिंह ने इस संबंध में स्पष्ट निर्देश जारी किए थे, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया था कि बंद ऋतु की अवधि में अवैध मछली पकड़ने, परिवहन, क्रय-विक्रय आदि गतिविधियों में संलिप्त पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मध्य प्रदेश मत्स्य उद्योग अधिनियम 1981 की धारा 5, उपधारा (5) के तहत उल्लंघनकर्ताओं को दोषी पाए जाने पर 01 वर्ष तक का कारावास या 5000 रुपये तक का जुर्माना अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है।
हालांकि, इन कड़े आदेशों के बावजूद, ऐसी जानकारी मिली है कि ब्यौहारी मंडी में खुलेआम मछली बेची जा रही है। आरोप है कि बाणसागर बांध के घाटचिचकिरी, मानपुर और अन्य घाटों जैसे ढाबा, छाप, भोलगढ़, हरदी, विजयसोटा, हरदुआ, खलीशभगर और अन्य स्थानों से आने वाले व्यापारी बड़ी मात्रा में अवैध रूप से मछली पकड़ने और बेचने में शामिल हैं।
इन गतिविधियों से कथित तौर पर सरकारी प्रशासन और मछली की आबादी को काफी नुकसान पहुंच रहा है।
इन कथित अवैध गतिविधियों के संबंध में कुछ व्यक्तियों की पहचान की गई है:
अहमद खान, पिता गुलाम रसूल खान, निवासी ढाबा, थाना अमरपुर
कल्लु केवट, पिता रामसजीवन केवट, निवासी गली ढाबा, थाना इस्तार
हरीराम लोहानी, निवासी खलौद, थाना इस्तार
जारी प्रतिबंध के बावजूद ब्यौहारी मंडी में मछली की खुली बिक्री नियमों को लागू करने में एक बड़ी चुनौती को उजागर करती है। इस स्थिति पर जिला प्रशासन और कानून प्रवर्तन एजेंसियों का तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि मछली पकड़ने पर प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके और जलीय पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा की जा सके।