Mauganj news: आयुष्मान के नाम पर भरोसे का कत्ल , अंगूठा लगा हड़प ली जमीन
Mauganj news: मऊगंज, मध्य प्रदेश: मानवता को शर्मसार करने वाला एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। मऊगंज के जरकुद गाँव में एक निहत्थे 80 वर्षीय वृद्ध की लाखों की ज़मीन सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर धोखे से हड़प ली गई। यह सिर्फ़ ज़मीनी धोखाधड़ी नहीं, बल्कि भरोसे का क़त्ल है!
आयुष्मान कार्ड का बहाना
मामला उस वृद्ध से शुरू होता है जो बुढ़ापे की लाठी के सहारे ज़िंदगी गुज़ार रहा था। उसके अपने ही जानने वालों ने उसे आयुष्मान कार्ड बनवाने का लालच दिया। वृद्ध को सरकारी मदद दिलाने का झांसा देकर हनुमना ले जाया गया। लेकिन, वहाँ रात भर रखने के बाद, उन चालाक जालसाज़ों ने वृद्ध की आँखों में धूल झोंककर उसकी दो एकड़ सत्रह डिसमिल पुश्तैनी ज़मीन के कागज़ात तैयार कर लिए। उस अनपढ़ वृद्ध को कैसे पता था कि जिस कागज़ पर उससे अंगूठा लगवाया जा रहा है, वही उसकी ज़िंदगी भर की जमा-पूंजी छीन रहा है?
केवाईसी ने खोला राज, पैरों तले खिसक गई ज़मीन:
धोखाधड़ी का यह काला अध्याय तब सामने आया जब पीड़ित अपना केवाईसी अपडेट कराने गया। वहाँ उसे पता चला कि उसकी ज़मीन तो पहले से ही किसी और के नाम पर है! यह सच्चाई सामने आते ही बुज़ुर्ग के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। उसकी कोई संतान नहीं है, और वह अपनी भतीजी और भतीजे के सहारे गुज़ारा कर रहा है। उसकी आवाज़ में दर्द था, पीड़ित बुज़ुर्ग का आरोप है कि “विजेश यादव मुझे आयुष्मान कार्ड बनवाने के बहाने ले गया था, मुझे नहीं पता था कि मेरी ज़मीन हड़प ली जाएगी।”
पीड़ित के भतीजे विनय कुमार यादव ने बताया कि उनके परिवार की कई महिलाएँ, जिनमें उनकी बुआ, पत्नी और तीन पोते-पोतियाँ शामिल हैं, मानसिक रूप से विक्षिप्त हैं। इसी कमज़ोरी का फ़ायदा उठाकर जालसाज़ों ने उन्हें निशाना बनाया। अब आरोपी खुलेआम धमकियाँ भी दे रहे हैं, जिससे पूरा परिवार दहशत में जी रहा है।
पुलिस-प्रशासन की चुप्पी: “उन्होंने कहा कि तुमने खुद ज़मीन बेची है”
सबसे शर्मनाक बात यह है कि इस गंभीर धोखाधड़ी के बावजूद, स्थानीय पुलिस और तहसील कार्यालय ने कोई कार्रवाई नहीं की है। पीड़ित परिवार का आरोप है कि अधिकारियों ने उन्हें यह कहकर टरका दिया कि “तुमने खुद ज़मीन बेची है!” प्रशासन की इस उदासीनता से अपराधियों के हौसले बुलंद हो रहे हैं।
अदालत ही आखिरी सहारा है, लेकिन इंसाफ कब मिलेगा?
ग्राम प्रतिनिधि मोतीलाल ने भी पुष्टि की कि परिवार को धोखाधड़ी के बारे में तीन-चार महीने बाद पता चला। उन्होंने परिवार को सलाह दी है कि अब उन्हें अदालत का दरवाज़ा खटखटाना चाहिए, क्योंकि यह मामला अब कोई साधारण मामला नहीं रहा।