विकिपीडिया के अनुसार देवरहा बाबा भारत के उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के एक योगी, महान संत और संत थे। डॉ. राजेंद्र प्रसाद, महामना मदन मोहन मालवीय, पुरुषोत्तमदास टंडन और अन्य प्रतिष्ठित हस्तियों ने समय-समय पर पूज्य देवरहा बाबा के दर्शन करके खुद को धन्य महसूस किया। पूज्य महर्षि पतंजलि द्वारा प्रतिपादित अष्टांग योग में पारंगत थे। देवरहा बाबा की जन्म तिथि अज्ञात है। यहां तक ​​कि उनकी सही उम्र का भी अनुमान नहीं है।

उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे बाबा

वे यूपी के देवरिया जिले के लार रोड स्थित "नाथ" नदौली गांव के निवासी थे। मंगलवार, 19 जून 1990 को योगिनी एकादशी के दिन प्राण त्यागने वाले पूज्य बाबा के जन्म के बारे में संदेह है। ऐसा कहा जाता है कि वे लगभग 900 वर्षों तक जीवित रहे। (बाबा के सम्पूर्ण जीवन के बारे में अलग-अलग मत हैं, कुछ लोग उनका जीवन 250 वर्ष मानते हैं तो कुछ लोग उनका जीवन 500 वर्ष मानते हैं।

कुंभ परिसर में संगम तट पर अग्नि पर बैठकर करीब 10 वर्षों तक बाबा की सेवा करने वाले मार्कण्डेय महाराज के अनुसार, आजीवन नग्न रहने वाले बाबा जमीन से 12 फीट ऊपर लकड़ी के चबूतरे (बक्से) में रहते थे। वे सिर्फ सुबह स्नान करने के लिए नीचे आते थे। उनके भक्त पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। राजनेता, फिल्म स्टार और बड़े अधिकारी उनकी छत्रछाया में रहते थे।

हिमायलय में तपस्या की

उन्होंने कई वर्षों तक हिमालय में अज्ञातवास करके साधना की। वहां से वे पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया नामक स्थान पर पहुंचे। वहां वर्षों तक रहने के कारण उनका नाम "देवरहा बाबा" पड़ा। पूज्य देवरहा बाबा जी ने देवरिया जिले की सलेमपुर तहसील के मईल (एक छोटा सा कस्बा) से करीब एक कोस की दूरी पर सरयू नदी के तट पर एक चबूतरे पर अपना डेरा जमाया और धार्मिक क्रियाकलाप करने लगे। देवरहा बाबा क्या कहते थे

देवरहा बाबा देते थे ज्ञान

बाबा कहते थे- "जीवन को पवित्र बनाए बिना, ईमानदारी, सात्विकता और मधुरता के बिना ईश्वर की कृपा नहीं मिल सकती। इसलिए सबसे पहले अपने जीवन को पवित्र और पवित्र बनाने का संकल्प लें। वे गंगा या यमुना के किनारे फूस की चबूतरे पर रहकर साधना करते थे। वे अपने पास आने वाले भक्तों को सही मार्ग पर चलने और अपना मानव जीवन सफल बनाने का आशीर्वाद देते थे। वे कहते थे, "यह भारत भूमि की दिव्यता का प्रमाण है कि इसमें भगवान श्री राम और श्री कृष्ण ने अवतार लिया है। यह देवभूमि है, इसकी सेवा, सुरक्षा और संवर्धन करना प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है।"

रीवा के गुढ़ में देवरहा बाबा की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा

रीवा 08 फरवरी 2025. गुढ़ तहसील के दुआरी गांव में स्थित दुर्मनकूट में ब्रम्हर्षि श्री देवरहा बाबा की प्रतिमा का प्राण-प्रतिष्ठा समारोह 9 फरवरी को आयोजित किया जा रहा है। समारोह के मुख्य अतिथि उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल दोपहर 12 बजे ब्रम्हर्षि देवरहा बाबा की प्रतिमा का महाभिषेक करेंगे। समारोह की अध्यक्षता विधायक गुढ़ श्री नागेन्द्र सिंह करेंगे। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में सांसद श्री जनार्दन मिश्र तथा जिलाध्यक्ष भाजपा वीरेन्द्र गुप्ता शामिल होंगे।

इंदिरा राजीव गांधी झुका चुके है सिर

देवरहा बाबा के भक्तों में कई महान लोग शामिल हैं। राजेंद्र प्रसाद, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन डीजी प्रकाश सिंह, लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव और कमलापति त्रिपाठी जैसे राजनेता हर समस्या के समाधान के लिए बाबा के पास आते थे। देश में आपातकाल के बाद हुए चुनाव में जब इंदिरा गांधी हार गईं तो वह भी देवरहा बाबा के पास आशीर्वाद लेने गईं। देवरहा बाबा ने उन्हें अपने हाथ की हथेली से आशीर्वाद दिया और तब से कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हाथ की हथेली है। नतीजतन 1980 में वह एक बार फिर भारी बहुमत से देश की प्रधानमंत्री बनीं।

देवरहा बाबा के दरबार में इन्दिरा गांधी
जल पर चलते थे बाबा, रुक जाती थी बंदूक की गोली

लोगों का मानना ​​है कि बाबा जल पर चल सकते थे और उन्होंने कभी किसी गंतव्य तक पहुंचने के लिए सवारी का प्रयोग नहीं किया और न ही उन्हें कभी कहीं सवारी से जाते देखा गया। कुंभ के दौरान बाबा हर साल प्रयाग आते थे। मार्कण्डेय सिंह के अनुसार उनका जन्म किसी स्त्री के गर्भ से नहीं बल्कि जल से हुआ था। यमुना के किनारे वृंदावन में वे बिना सांस लिए 30 मिनट तक पानी में रह सकते थे। वे जानवरों की भाषा समझते थे। खतरनाक जंगली जानवरों को वे पल भर में वश में कर सकते थे।

लोगों का मानना ​​है कि बाबा को सब पता होता था कि कब, कौन और कहां उनकी चर्चा हो रही है। वे अवतारी पुरुष थे। उनका जीवन बहुत ही सादा और सौम्य था। वे फोटो कैमरा और टीवी जैसी चीजों को देखकर हैरान हो जाते थे। वे उनसे अपना फोटो लेने के लिए कहते थे, लेकिन आश्चर्य की बात यह थी कि उनका फोटो नहीं लिया जाता था। वे नहीं चाहते तो रिवॉल्वर नहीं चलती थी। निर्जीव वस्तुओं पर उनका नियंत्रण था।