50 किमी ले जाना पड़ा शव, पोस्टमार्टम के इंतजार में तड़पते रहे गरीब परिवार न डॉक्टर, न एंबुलेंस — मौत के बाद भी नहीं मिला सम्मान, सिस्टम से उठ रहे तीखे सवाल

15 मई 2025 को सीधी जिले के आदिवासी बाहुल्य वनांचल क्षेत्र भुईमाड़ में एक दर्दनाक मामला सामने आया। ग्राम पंचायत दुधमनिया के निवासी 60 वर्षीय पियारे साकेत जंगल में पेड़ों से पत्ते तोड़ते समय गिरकर गंभीर रूप से घायल हुए और इलाज के अभाव में उनकी मौत हो गई। परिजनों ने भीगी-बिखरी यादें लिए पुलिस को सूचना दी, लेकिन यहां से शुरू हुई सिस्टम की बेरुखी।

पोस्टमार्टम में अनावश्यक विलंब

पंचनामा और शवगृह पुलिस ने पंचनामा के बाद शव को भुईमाड़ के सरकारी चीरघर में रखा

14 मई रात तक कोई चिकित्सक नहीं आया, जिससे पोस्टमार्टम नहीं हो सका। परिजन भूखे-प्यासे शव के पास रात गुजारने को मजबूर रहे।

दूसरे जिले का रुख

: सुबह बताया गया कि पोस्टमार्टम कुसमी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (लगभग 50 किमी दूर) में होगा। न शववाहक वाहन, न ईंधन, न ड्राइवर — परिजनों को खुद इंतज़ाम करना पड़ा।

सिस्टम पर उठ रहे सवाल

भुईमाड़ उप स्वास्थ्य केंद्र और आसपास के वनांचल क्षेत्रों में नियमित रूप से चिकित्सकों की कमी है। सरकारी चीरघर मौजूद होते हुए भी अगर शवों को दूसरी तहसील भेजने की नौबत आए, तो यह न केवल प्रशासनिक लापरवाही है, बल्कि गरीबों के साथ अमानवीय व्यवहार भी।

जब मौत के बाद भी इंसाफ नहीं मिले, तो समझिए सिस्टम मर चुका है।

मिली जानकारी के अनुसार, यहां रोजाना गरीबों को इलाज के लिए 50 किमी का सफर तय कर कुसमी जाना पड़ता है, और मृतकों के शवों को भी वही दूरी तय करनी पड़ती है।

: विधायक द्वारा उपलब्ध कराए गए शव वाहन में न तो चालक है, न ईंधन की व्यवस्था; जरूरत पड़ने पर खर्च परिवार को उठाना पड़ता है। परिजनों ने जिला कलेक्टर से मांग की है कि भुईमाड़ क्षेत्र में पोस्टमार्टम के लिए नियमित चिकित्सकों की नियुक्ति सुनिश्चित की जाए तथा वैकल्पिक व्यवस्था (ऑन-कल ड्यूटी डॉक्टर या मोबाइल पोस्टमार्टम टीम) तैयार की जाए।

प्रदेश प्रमुख डॉक्टर मोहन यादव आज 15 मई को सीधी दौरे पर थे और जिले को करोड़ों रुपए की सौगात देंगे। पर ऐसी घटनाएँ इन निवेशों की असलियत पर प्रश्नचिन्ह लगा देती हैं।

क्या यही है हमारा सिस्टम

क्या जीवन में इलाज और मौत के बाद सम्मान के लिए गरीबों को लगातार भटकना होगा सरकार और प्रशासन को इस मूलभूत समस्या का तत्काल समाधान करना होगा, वरना यह न केवल एक परिवार की त्रासदी, बल्कि पूरे क्षेत्र की विफलता बनकर रह जाएगी।