मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं कक्षा के परिणामों में इस बार सिंगरौली जिले की बेटी प्रज्ञा जयसवाल ने ऐसा कीर्तिमान रचा है, जिसने पूरे प्रदेश को गौरवान्वित कर दिया है। प्रज्ञा ने 500 में से पूरे 500 अंक प्राप्त कर राज्य में प्रथम स्थान हासिल किया है। खास बात यह है कि प्रज्ञा ने यह सफलता किसी कोचिंग या ट्यूशन के सहारे नहीं, बल्कि अपनी मेहनत, आत्मविश्वास और परिवार व शिक्षकों के सहयोग से प्राप्त की है।

प्रज्ञा सिंगरौली के निवास क्षेत्र स्थित ग्लोरियस पब्लिक स्कूल की छात्रा हैं। उनका यह शानदार प्रदर्शन न केवल उनके स्कूल, बल्कि पूरे जिले के लिए गर्व का विषय बना हुआ है। प्रज्ञा ने बताया कि उन्होंने पढ़ाई को हमेशा एक मिशन की तरह लिया और नियमित रूप से समय का प्रबंधन कर अध्ययन किया। कठिन विषयों में भी उन्होंने स्वयं से समझकर अभ्यास किया और किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मानी।

उनकी सफलता के पीछे उनके माता-पिता का अहम योगदान रहा है। प्रज्ञा के पिता, श्री विनय कुमार जयसवाल, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक हैं, जबकि माता, श्रीमती शशिकला जयसवाल, भी उच्च माध्यमिक विद्यालय में शिक्षिका हैं। ऐसे शैक्षणिक वातावरण में पली-बढ़ी प्रज्ञा को शुरू से ही पढ़ाई का महत्व समझ में आ गया था। उनके माता-पिता ने न सिर्फ शैक्षणिक मार्गदर्शन दिया, बल्कि हमेशा मानसिक रूप से भी उनका समर्थन किया।

प्रज्ञा ने यह भी बताया कि स्कूल के शिक्षकों ने हर कदम पर मार्गदर्शन किया और कठिनाई होने पर तुरंत सहायता की। उन्होंने बताया कि वे मोबाइल फोन और सोशल मीडिया से दूर रहकर पढ़ाई पर पूरा ध्यान देती थीं। अनुशासन, नियमितता और समर्पण को उन्होंने सफलता की कुंजी बताया।

प्रज्ञा का एक छोटा भाई, प्रभात जयसवाल, सैनिक स्कूल रीवा में आठवीं कक्षा का छात्र है। परिवार में पढ़ाई का माहौल है और यही वजह है कि प्रज्ञा का लक्ष्य भी बड़ा है। वे भविष्य में भारतीय प्रशासनिक सेवा (UPSC) की परीक्षा पास कर देश की सेवा करना चाहती हैं। उनकी इस सोच से साफ झलकता है कि वे न केवल अपने लिए, बल्कि समाज के लिए भी कुछ बड़ा करना चाहती हैं।

प्रज्ञा की इस अभूतपूर्व उपलब्धि से न सिर्फ उनका परिवार, बल्कि पूरा सिंगरौली क्षेत्र गर्व महसूस कर रहा है। स्कूल और समाज में उनकी प्रशंसा हो रही है। वे आज लाखों छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी हैं। प्रज्ञा जयसवाल की यह कहानी बताती है कि यदि लगन और आत्मविश्वास हो, तो बिना ट्यूशन के भी कोई छात्र शिखर तक पहुँचसकता है।