रीवा का 'सुंदरजा' आम: अब दुनिया चखेगी विंध्य की मिठास आ गया फल का मौसम
रीवा के सुंदरजा आम की विशेषता, GI टैग से मिली पहचान और किसानों की उम्मीदों को एक साथ दर्शाता है। इस आम की मिठास अब देश के बाहर भी जाने लगी है।

मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र में बसा रीवा जिला न केवल ऐतिहासिक, धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां का एक खास फल – ‘सुंदरजा’ आम – भी राष्ट्रीय पहचान प्राप्त कर चुका है। स्वाद, सुगंध और गुणवत्ता के मामले में देशभर में चर्चित इस आम को भौगोलिक संकेत (Geographical Indication - GI) टैग भी प्राप्त हो चुका है। अब जब गर्मी की शुरुआत हो चुकी है, तो ‘सुंदरजा’ आम के पेड़ों पर फल लगने का मौसम भी आ गया है। किसानों के बागानों में रौनक लौट आई है और बाजारों में इस मीठे फल की तैयारी शुरू हो गई है।
GI टैग: रीवा के आम को मिली विशिष्ट पहचान
‘सुंदरजा’ आम को GI टैग मिलने से इसकी विशेषता को कानूनी मान्यता मिली है। इसका अर्थ है कि यह आम केवल उसी क्षेत्र में उत्पन्न हो सकता है जहाँ की जलवायु, मिट्टी और परंपरागत खेती के तौर-तरीके इसकी गुणवत्ता तय करते हैं। रीवा की खास भौगोलिक परिस्थितियाँ, जैसे वहां की दोमट मिट्टी, उपयुक्त तापमान और प्राचीन बागवानी पद्धतियाँ, इस आम को विशिष्ट बनाती हैं।
इस टैग के मिलने से न केवल रीवा के आम उत्पादकों को अपने उत्पाद की ब्रांडिंग का अवसर मिला है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसे एक नई पहचान मिली है।
सुंदरजा आम की विशेषताएं
‘सुंदरजा’ आम अपने नाम की ही तरह सुंदर और स्वादिष्ट होता है। इसका आकार मध्यम होता है, छिलका पतला और गूदा गाढ़े पीले रंग का होता है। यह आम रेशारहित होता है और इसकी मिठास स्वाभाविक रूप से उच्च होती है। इसकी खुशबू इतनी तीव्र और आकर्षक होती है कि पेड़ से तोड़े बिना ही इसकी उपस्थिति महसूस की जा सकती है।
इसी वजह से यह आम न केवल खाने के लिए उपयुक्त है बल्कि उपहार स्वरूप देने के लिए भी काफी लोकप्रिय है। गर्मी के मौसम में यह आम खास आकर्षण का केंद्र बन जाता है।
अब शुरू हुआ फलों का मौसम
अप्रैल के मध्य से मई की शुरुआत तक ‘सुंदरजा’ आम के पेड़ों पर फलों का आना तेज़ हो जाता है। इस समय बागानों में हरियाली और आम्रवृक्षों पर लटके हुए हरे-पीले फलों का दृश्य मन मोह लेता है। किसान दिन-रात पेड़ों की देखभाल में लगे रहते हैं – सिंचाई, कीटनाशक छिड़काव, और फलों की सुरक्षा के लिए नेटिंग आदि का कार्य बड़े स्तर पर चल रहा है।
इस बार मौसम भी आम के अनुकूल बना हुआ है, जिससे किसानों को बेहतर उपज की उम्मीद है। यदि मई-जून में तापमान संतुलित रहा और ओलावृष्टि जैसी आपदा नहीं आई, तो इस वर्ष ‘सुंदरजा’ आम की गुणवत्ता और मात्रा दोनों ही सराहनीय होंगी।
आर्थिक संभावना और रोजगार
‘सुंदरजा’ आम रीवा की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हजारों किसान परिवार इसकी खेती से जुड़े हुए हैं। GI टैग मिलने के बाद अब व्यापारी और निर्यातक रीवा के आम को अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने की दिशा में प्रयासरत हैं। इससे किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी के साथ-साथ कृषि आधारित उद्योगों को भी बढ़ावा मिल रहा है।
इसके अलावा, आम से बनने वाले उत्पाद जैसे अचार, आम पना, आमचूर्ण और जूस की मांग भी बढ़ रही है, जिससे स्थानीय युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर खुल रहे हैं।
सरकार और प्रशासन की पहल
राज्य सरकार और बागवानी विभाग सुंदरजा आम के प्रचार-प्रसार और तकनीकी सहायता हेतु किसानों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। बागवानी महोत्सव, आम प्रदर्शनियाँ और एक्सपोर्ट प्रमोशन कार्यक्रमों के जरिए रीवा आम को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जाने की योजना बनाई जा रही है।