Rewa news रीवा जिले में शराब ठेकेदारों द्वारा ग्राहकों से मनमाने दाम वसूलने की घटनाएं आम होती जा रही हैं। इन दुकानों पर सरकार द्वारा तय दरों से अधिक दाम पर शराब बेची जा रही है।

अधिकारियों की मिलीभगत से एमआरपी से अधिक दाम वसूलने का खेल

सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि शराब की हर बोतल पर अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) अंकित होना चाहिए और उसी दर पर उसे बेचा जाना चाहिए। लेकिन, कई दुकानों पर इस नियम की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

सादी शराब: एमआरपी ₹70, बिक्री ₹90

मसाला शराब: एमआरपी ₹100, बिक्री ₹110

किंगफिशर: एमआरपी ₹199, बिक्री ₹250

पी-10000: एमआरपी ₹150, बिक्री ₹200

पावर केन-1000: एमआरपी ₹130, बिक्री ₹150

अवैध आहारों का संचालन

शहर में कई शराब दुकानों पर अवैध आहारों का संचालन किया जा रहा है, जहां न केवल अवैध रूप से शराब की बिक्री होती है, बल्कि ग्राहकों से जबरन अधिक कीमत वसूली जाती है।

जिला प्रशासन और आबकारी विभाग की भूमिका

इन अनियमितताओं के बीच जिला प्रशासन और आबकारी विभाग की निष्क्रियता पर सवाल उठना स्वाभाविक है। नियमित निरीक्षण और सख्त कार्रवाई के अभाव में ठेकेदारों को खुली छूट मिली हुई है। इससे सवाल उठता है कि कहीं प्रशासन और विभाग की मिलीभगत तो नहीं है। ग्राहकों का कहना है कि अवैध वसूली से उनकी जेब पर डाका डाला जा रहा है। प्रशासन को इस मनमानी को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए। हर दुकान का निरीक्षण कर सुनिश्चित करें कि शराब एमआरपी पर बिक रही है। ओवररेट करने वाले ठेकेदारों पर जुर्माना और लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई करें। ग्राहकों को उनके अधिकारों की जानकारी दें और शिकायत दर्ज कराने के साधन उपलब्ध कराएं, अवैध दुकानों को बंद कराएं। रीवा शहर में शराब की बिक्री पूरी तरह पारदर्शी हो और ग्राहकों को उनके अधिकारों का हनन न सहना पड़े, यह जिला प्रशासन और आबकारी विभाग की जिम्मेदारी है।