रीवा जिले की जनपद स्तरीय समीक्षा बैठक में लापरवाही और अनुशासनहीनता का गंभीर मामला सामने आया है। जिला पंचायत सीईओ मेहताब सिंह गुर्जर ने बिना पूर्व सूचना अनुपस्थित रहने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए प्रशासनिक सख्ती का परिचय दिया है।

12 मई को आयोजित इस महत्वपूर्ण बैठक में शासन की प्राथमिकता वाले "जल गंगा संवर्धन अभियान" सहित विभिन्न योजनाओं की समीक्षा की जानी थी। इसके बावजूद सात ग्राम पंचायत सचिव और नौ ग्राम रोजगार सहायक बैठक से नदारद रहे।

सीईओ ने इस गैर-जिम्मेदाराना रवैये को गंभीरता से लेते हुए सात सचिवों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया, वहीं रोजगार सहायकों को संविदा सेवा समाप्ति के लिए कारण बताओ नोटिस थमा दिया गया।

निलंबित सचिवों में आरती विधुवा (घौचट), रामदीन शुक्ला (जोकिहा), अरुण मिश्रा (पुरैनी 379), महेन्द्र कुशवाहा (अमिरती), दिवाकर मिश्रा (डिजवार), राजबहादुर शर्मा (रहट) और शकुंतला साहू (सुपिया) शामिल हैं।

वहीं जिन रोजगार सहायकों पर कार्रवाई की गई है, उनमें शुभम तिवारी (जिउला), प्यारेलाल साकेत (डिहिया नरसिंहपुर), अंजू सिंह (पड़िया), वंदना शुक्ला (नौबस्ता), श्रद्धा पाण्डेय (शिवपुरवा), लोकनाथ यादव (सुपिया), नीतू कुशवाहा (करहिया नं. 1), रजनीश पाठक (बम्हनी) और जीतेंद्र रावत (पुरैनी) शामिल हैं।

बैठक में सीईओ ने पंचायतों की विकास योजनाओं की धीमी प्रगति पर भी नाराजगी जताई। खेत तालाब, डगवेल रिचार्ज, मनरेगा लेबर नियोजन, पीएम आवास, और ई-केवाईसी जैसे कार्यों में लापरवाही पर कड़ा संदेश देते हुए उन्होंने प्रगति तेज करने के निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि भविष्य में अनुशासनहीनता या कार्य में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

यह पहली बार है जब रीवा जिले में इतनी बड़ी संख्या में पंचायत कर्मियों पर एक साथ कार्रवाई हुई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि जिला प्रशासन अब सख्ती के मूड में है।