(द बघेली यूट्यूब चैनल के मुताबिक) क्या आपने सुना है कि किसी राजा महाराजा को हत्या की सजा मिली हो? आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जिस महाराजा के पास प्रजा की कोई कमी नहीं थी और देश-दुनिया में उनका सम्मान था, उन्हें हत्या के आरोप में राज्य से निकाल दिया गया था। गुलाब सिंह इंदौर में पढ़ाई कर रहे थे। असिस्टेंट गवर्नर जनरल ने उन्हें रीवा में बुलाकर महाराज घोषित किया। उनके नाबालिग होने के कारण रीजेंसी हुई और उनके मामा रतलाम राजा सज्जन सिंह को रीजेंट नियुक्त किया गया।

लाल मर्दन सिंह और राजमणि को गिरफ्तार किया गया था

31 अक्टूबर को गुलाब सिंह राजा बने और 23 तारीख को ब्रिटिश इंडिया के वायसराय और गवर्नर जनरल लॉर्ड रीडिंग ने उन्हें रीवा स्टेट का प्रशासनिक अधिकारी नियुक्त किया। देश में पूर्ण स्वतंत्रता की अंतिम लड़ाई लड़ी जा रही थी। 18 फरवरी 1942 को लाल मर्दन सिंह और राजमणि प्रसाद को इस बहाने गिरफ्तार कर लिया गया कि राज्य में महात्मा गांधी के कार्यक्रम लागू किए जा रहे हैं। महाराज गुप्त रूप से क्रांतिकारियों की मदद कर रहे थे। इससे ब्रिटिश शासक महाराज से काफी नाराज थे।

हत्या के आरोप ने किया गया था गिरफ्तार

एक हत्या में सहयोगी होने का आरोप लगाकर उन्हें राज्य से निष्कासित करने का आदेश दिया गया था। भारत की ब्रिटिश सरकार ने रीवा राज्य का प्रशासक नियुक्त किया था। ब्रिटिश सरकार ने उन पर मुकदमा चलाया और 1942 से 1946 के बीच उन्हें अपमानित करने की कोशिश की। महाराज को वापस लाने के लिए एक आंदोलन चलाया जा रहा था। इसकी शुरुआत 18 फरवरी 1942 को हुई। महाराज की गिरफ्तारी के विरोध में वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं सहित सैकड़ों लोग सेंट्रल जेल रीवा और अन्य शहरों में बंद थे। 20 जनवरी 1946 को महाराज गुलाब सिंह को गिरफ्तार किया जा रहा था। महाराज गुलाब सिंह में इतना आत्मविश्वास और सत्याग्रह की भावना थी कि ब्रिटिश सरकार उन पर लगे आरोपों को साबित नहीं कर सकी। वे ब्रिटिश सरकार से संघर्ष करते हुए 30 जनवरी 1946 तक मध्य भारत एजेंसी की सबसे बड़ी रियासत रीवा के शासक बने रहे।

महराजा गुलाब सिंह रीवा छोड़ मुंबई क्यों चले गए

नतीजतन 31 जनवरी 1946 को इसके प्रशासनिक अधिकार छीन कर महाराज मार्तंड सिंह को सौंप दिए गए जिससे गुलाब सिंह को रियासत छोड़कर अन्यत्र जाने का आदेश प्रसारित हो गया। 6 फरवरी 1946 को मार्तंड सिंह रीवा की गद्दी पर बैठे और महाराज गुलाब सिंह रीवा की गलियां छोड़कर मुंबई चले गए। इस तरह कर्ज में डूबता देख महाराज गुलाब सिंह 13 अप्रैल 1950 को संसार सागर से विदा हो गए।

रीवा के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्न F&Q

1. रीवा का पुराना इतिहास

2. रीवा का नाम कैसे पड़ा

3. रीवा का नाम कैसे पड़ा

4. रीवा कितने किलोमीटर में बसा

5. रीवा के महाराजा कौन है?