रीवा में महायज्ञ और सीधी में सुंदरकांड भारत-पाक तनाव के बीच सेना के लिए पूजा
सीमा पर तनाव के बीच रीवा के कोठी गांव में शुरू हुआ 11 दिवसीय विष्णु महायज्ञ, देश की रक्षा, जवानों की सलामती और शांति के लिए जुटे श्रद्धालु

भारत-पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव और देश के जवानों की शहादत के बीच रीवा जिले के कोठी गांव में एक अद्भुत और प्रेरणादायक पहल देखने को मिली है। यहां के समाजसेवियों और श्रद्धालुओं ने देश की रक्षा में लगे वीर जवानों की सलामती और भारत की विजय के लिए 11 दिवसीय विष्णु महायज्ञ का आयोजन किया है।
अभ्युदय उपकार फाउंडेशन के सहयोग से हो रहे इस आयोजन में देशप्रेम और आध्यात्म का सुंदर समागम देखने को मिल रहा है। यज्ञ के मुख्य यजमान गौरव शरण द्विवेदी ने बताया कि यह महायज्ञ शहीद जवानों की आत्मा की शांति, घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ और देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए ईश्वर से आशीर्वाद पाने हेतु आयोजित किया गया है।
यज्ञशाला में 11 विद्वान पुरोहित प्रतिदिन वैदिक मंत्रोच्चार के साथ आहुतियाँ दे रहे हैं। श्रद्धालु पूरे भाव से यज्ञ में भाग ले रहे हैं और हर आहुति के साथ देश की अखंडता और शांति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। द्विवेदी जी ने कहा कि हमारे वेद और पुराणों में उल्लेख है कि जब राष्ट्र संकट में हो, तो यज्ञ के माध्यम से सामूहिक चेतना को जाग्रत कर समाधान पाया जा सकता है।
इस आयोजन ने पूरे क्षेत्र में एक विशेष ऊर्जा और एकजुटता का संचार किया है। गांव के लोगों से लेकर आसपास के इलाकों से भी बड़ी संख्या में लोग इस अनुष्ठान में भाग ले रहे हैं। यह महायज्ञ न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाता है कि कैसे एक छोटा सा गांव भी राष्ट्रीय संकट के समय अपनी भूमिका निभा सकता है।
इसी भावनात्मक माहौल के बीच सीधी शहर के हनुमान मंदिर में भी शनिवार रात को देश के लिए सुंदरकांड का पाठ किया गया। रात्रि 9 बजे से मध्यरात्रि तक चले इस आयोजन में सांसद डॉ. राजेश मिश्रा भी उपस्थित रहे। उन्होंने देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे जवानों के लिए विशेष प्रार्थना की। मंदिर में मंत्रोच्चारण, शंखध्वनि और भक्ति के वातावरण ने सभी को देश के प्रति समर्पण की अनुभूति कराई।
डॉ. मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा, "जब राष्ट्र संकट में होता है, तब हमें धर्म और संस्कृति की ओर लौटकर सामूहिक संकल्प लेना चाहिए। यह आयोजन देश के लिए हमारी भावनात्मक एकता और आंतरिक शक्ति का प्रतीक है।
यह महायज्ञ न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह देशवासियों के मन में यह संदेश भी भर रहा है कि जब हमारे जवान सीमा पर डटे हैं, तो हम भी अपने स्तर पर देश की सेवा और उनकी सलामती के लिए प्रार्थना कर सकते हैं।