Rewa News: महुआ का फूल रीवा: रीवा जिला आज भी पारंपरिक खेती करता है यहां के किसान खेती पर ही निर्भर है। आपको बता दें कि महुआ के फूल की खेती को पसंद करते हैं। इसका सीधा सा मतलब है कि इस फूल को बेचकर अधिक मुनाफा मिलता है। यही कारण है कि इसका सीजन आते ही लोग दिनरात इस फूल को बिनने के लिए किसान दिनभर पेड़ के पास रहते है।

आखिर क्यों खास है यह फूल

आपको बता दें कि महुआ का फूल बहुत गुणकारी है इसका उपयोग दवाई,ड्रिंक जैसी और कई चीजों में उपयोग किया जाता है। महुआ के फूलों को सुखाकर पाउडर बनाया जाता है फिर इस पाउडर को मैदे और अन्य चीज़ों के साथ मिलाकर कुकीज़ बनाई जाती है।

महुआ बीनने की दीवानगी आदिवासी समाज की मेहनत और परंपरा

जैसे ही मार्च और अप्रैल का महीना आता है, जंगलों में महुआ के पेड़ फूलों से लद जाते हैं। इन फूलों को बटोरने के लिए रीवा के आदिवासी समुदाय के लोग दिन-रात मेहनत करते हैं। महुआ के पेड़ से फूल गिरने की प्रक्रिया अलग-अलग समय पर होती है—कुछ पेड़ों से रात में, कुछ से सुबह और कुछ से दोपहर में फूल झड़ते हैं। इस वजह से आदिवासी लोग रातभर पेड़ों के नीचे डेरा डालकर महुआ बीनते हैं। उनके लिए यह सिर्फ एक काम नहीं, बल्कि उनकी संस्कृति और परंपरा का अहम हिस्सा है।

महुआ का आर्थिक और औषधीय महत्व

महुआ का फूल बेहद कीमती माना जाता है। व्यापारियों के अनुसार, यह सीजन में भी ऊंचे दामों पर बिकता है, और अगर इसे सुखाकर कुछ महीनों तक रखा जाए तो इसकी कीमत तीन गुना तक बढ़ सकती है। इसके अलावा, महुआ के पेड़ का हर हिस्सा उपयोगी होता है। इसके फल, जिन्हें "डोरी" कहा जाता है, भी बाजार में अच्छी कीमत पर बिकते हैं।

महुआ के औषधीय गुण भी कमाल के हैं। इसके फूलों से शराब, मिठाइयाँ और दवाइयाँ बनाई जाती हैं। वहीं, इसके बीजों से तेल निकाला जाता है, जो खाने और त्वचा रोगों के उपचार में उपयोगी होता है। खास बात यह है कि महुआ का पेड़ बिना किसी विशेष देखभाल के प्राकृतिक रूप से बढ़ता है, जिससे यह आदिवासी समाज की आय का एक प्रमुख स्रोत बनता है।

संस्कृति और जीविका का संगम

महुआ बीनना सिर्फ एक आर्थिक गतिविधि नहीं है, बल्कि यह आदिवासी समाज की परंपरा और जीवनशैली से भी जुड़ा हुआ है। इस दौरान पूरे परिवार के लोग एकजुट होकर जंगल में एक त्यौहार की तरह इस फूल को बिनने का काम करते हैं।