रीवा प्रशासन,सामाजिक संगठन द्वारा सराहनीय कदम,महाकुंभ यात्रियों को फ्री भोजन की कराई व्यवस्था,वीडियो हो रहा वायरल
प्रयागराज महाकुंभ में जन सैलाब के कारण लोगों को खाने एवं आवागमन में भी कई समस्याएं हो रही हैं। रीवा प्रशासन और सामाजिक संगठन द्वारा फ्री में खाने की व्यवस्था ने लोगों का ध्यान किया आकर्षित।
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Rewa News: महाकुंभ मेला भारत का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जो हर बारह वर्षों में प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में बारी-बारी से आयोजित होता है। यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं के लिए आस्था, भक्ति और सेवा का महासंगम है। लाखों श्रद्धालु, संत-महात्मा, नागा साधु और विदेशी पर्यटक इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बनते हैं।
प्रयागराज महाकुंभ में इस बार भारी जन सैलाब के कारण लोगों को कई बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जैसे कि आवागमन और खाना इसी समस्या को देखते हुए रीवा के सामाजिक संगठन एवं जिला प्रशासन द्वारा महाकुंभ यात्रियों को फ्री में खाने वितरित किए जा रहे है। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
कुंभ यात्रियों के लिए नि:शुल्क भोजन सेवा
महाकुंभ में देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा के लिए प्रशासन और सामाजिक संगठनों द्वारा विभिन्न स्थानों पर नि:शुल्क भोजन की व्यवस्था की जाती है। जगह-जगह भंडारे लगते हैं, जहाँ यात्रियों को प्रेम और आदर के साथ भोजन कराया जाता है।
सेवा भाव से जुड़े संगठन
कुंभ में अनेक सामाजिक एवं धार्मिक संगठन, मंदिर ट्रस्ट, अखाड़े और स्वयंसेवी संस्थाएँ नि:शुल्क भोजन सेवा चलाते हैं। इनमें प्रमुख
- अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद
- इस्कॉन संस्था
- गायत्री परिवार
- सिख समाज के लंगर सेवा केंद्र
- स्थानीय प्रशासन द्वारा संचालित भोजनालय
विशेषताएँ:
✔️ स्वच्छ एवं सात्विक भोजन
✔️ 24×7 लंगर सेवा
✔️ अलग-अलग स्थानों पर नि:शुल्क भोजन केंद्र
✔️ विशेष पर्वों पर भव्य भंडारों का आयोजन
महाकुंभ की ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्ता
महाकुंभ केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, वेद-पुराणों और आध्यात्मिकता की जीवंत झलक प्रस्तुत करता है। मान्यता है कि यहाँ स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
चार स्थानों पर कुंभ का आयोजन
1. प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) – संगम (गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती)
2. हरिद्वार (उत्तराखंड) – गंगा नदी
3. उज्जैन (मध्य प्रदेश) – क्षिप्रा नदी
4. नासिक (महाराष्ट्र) – गोदावरी नदी
पौराणिक कथा
महाकुंभ की परंपरा समुद्र मंथन की उस कथा से जुड़ी है जिसमें देवताओं और असुरों ने मिलकर अमृत कलश प्राप्त किया था। इस दौरान जब गरुड़ अमृत कलश लेकर आकाश मार्ग से गुजर रहे थे, तब अमृत की कुछ बूंदें इन चार स्थानों पर गिर गईं। इन्हीं पवित्र स्थलों पर कुंभ का आयोजन होता है।
कुंभ में प्रशासन की सुविधाएँ
सरकार और प्रशासन श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक प्रबंध करता है, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं
✔️ यातायात व्यवस्था: कुंभ क्षेत्र में विशेष बस और रेलवे सेवा
✔️ स्वास्थ्य सुविधाएँ: मेडिकल कैंप, एंबुलेंस, मोबाइल डिस्पेंसरी
✔️ सुरक्षा प्रबंध: पुलिस, एनडीआरएफ, सीसीटीवी और वॉलंटियर टीम
✔️ स्वच्छता अभियान: जगह-जगह साफ-सफाई और कचरा प्रबंधन
निष्कर्ष
महाकुंभ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, अध्यात्म, सेवा और मानवता का महापर्व है। यह आयोजन न केवल आस्था को मजबूत करता है, बल्कि एकता, सहयोग और निःस्वार्थ सेवा का भी संदेश देता है। नि:शुल्क भोजन सेवा जैसे प्रयास कुंभ की पवित्रता को और अधिक विशेष बनाते हैं, जिससे हर यात्री का अनुभव सुखद और प्रेरणादायक बनता है।
“हर हर गंगे! जय महाकुंभ!”