रीवा में कर्मचारियों का झूम बराबर झूम शराबी,नशे में धुत मिला नगर पालिक निगम का सहायक राजस्व निरीक्षक video
Rewa News video: मध्यप्रदेश में जहां सरकार विकास और सुशासन की नई इबारत लिखने में जुटी है, वहीं कुछ सरकारी कर्मचारी अपनी हरकतों से पूरे सिस्टम को शर्मसार कर रहे हैं। रीवा नगर निगम के सहायक राजस्व निरीक्षक का ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसने न केवल नगर निगम की छवि को धूमिल …

Rewa News video: मध्यप्रदेश में जहां सरकार विकास और सुशासन की नई इबारत लिखने में जुटी है, वहीं कुछ सरकारी कर्मचारी अपनी हरकतों से पूरे सिस्टम को शर्मसार कर रहे हैं। रीवा नगर निगम के सहायक राजस्व निरीक्षक का ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसने न केवल नगर निगम की छवि को धूमिल किया, बल्कि सरकारी पद की गरिमा पर भी सवाल खड़े कर दिए।
सड़क किनारे पड़ा शराबी अधिकारी
रविवार सुबह, रीवा नगर निगम में सहायक राजस्व निरीक्षक के पद पर कार्यरत सत्यविजय सिंह उर्फ मोहित सिंह, सिरमौर चौराहे के पास शराब के नशे में धुत्त हालत में सड़क किनारे पड़ा मिला। राहगीरों और स्थानीय लोगों ने जब यह नजारा देखा, तो वहां भीड़ जमा हो गई। इस दौरान किसी व्यक्ति ने इसे पहचान लिया और बताया कि मोहित सिंह को उसके दिवंगत पिता की अनुकंपा नियुक्ति पर यह नौकरी मिली थी।
जनता में नाराजगी और प्रशासन पर सवाल
लोगों का कहना था कि सरकारी नौकरी पाने वाले कुछ लोग अपने कर्तव्यों को भूलकर सिर्फ मौज-मस्ती में लिप्त रहते हैं। एक व्यक्ति ने नाराजगी जताते हुए कहा, "सरकारी नौकरी में कोई रोक-टोक नहीं होती, चाहे शराब पीकर सड़क पर लोटो या ऑफिस में घूसखोरी करो।" वहीं, कुछ लोगों ने नगर निगम प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए और कहा कि जब खुद के कर्मचारियों की यह स्थिति है, तो नगर निगम शहर में स्वच्छता और सुशासन कैसे सुनिश्चित करेगा।
शराबखोरी की पुरानी आदत, फिर भी कार्रवाई नहीं!
स्थानीय लोगों के अनुसार, मोहित सिंह अक्सर शराब के नशे में रहता है और यहां तक कि ऑफिस भी नशे की हालत में जाता है। पहले वह राजस्व वसूली के काम में था, लेकिन वित्तीय अनियमितताओं के चलते उसे आवक-जावक विभाग में भेज दिया गया। बावजूद इसके, उसकी लापरवाह हरकतों पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई।
मामला तूल पकड़ता देख अधिकारी बने अनजान
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, यह शराबी अधिकारी सुबह 9:30 बजे से लेकर दोपहर 12:30 बजे तक सड़क किनारे पड़ा रहा। इसके बाद वह किसी तरह उठा और लड़खड़ाते हुए एक बार फिर शराब की दुकान की ओर बढ़ गया। अब सवाल यह उठता है कि क्या नगर निगम प्रशासन ऐसे कर्मचारियों पर कोई सख्त कदम उठाएगा, या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
सरकारी व्यवस्था में बैठे जिम्मेदार अधिकारियों को इस तरह की घटनाओं को गंभीरता से लेना होगा। क्योंकि एक ओर जहां सरकार स्वच्छ प्रशासन की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ कर्मचारियों की यह लापरवाह हरकतें पूरे सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर रही हैं।