जब प्यार में मिला धोखा तो उल्टी दिशा में बहने लगी थी यह महान नदी, इसी के नाम पर पड़ा विंध्य की राजधानी का नाम, जानें रोचक कहानियां
नदियां हमारी आस्था का प्रतीक हैं। हर नदी का अपना इतिहास और कहानी है। भारत में छोटी-बड़ी नदियों को मिलाकर करीब 200 नदियां हैं, जो पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हैं। लेकिन नर्मदा एक ऐसी नदी है जो पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है। कहा जाता है कि इसके विपरीत दिशा में बहने का कारण प्यार में मिला धोखा है। आइए जानते हैं ऐसा क्या हुआ कि नर्मदा ने इतना महत्वपूर्ण निर्णय लिया और उन्होंने अपनी दिशा बदल ली और कुंवारी रहने का फैसला किया।
पुराणों के अनुसार गंगा जो कि बहुत ही पवित्र नदी है, उसका विवाह शांतनु जी से हुआ था, लेकिन नर्मदा को कुंवारी नदी कहा जाता है। कहानियों के अनुसार राजकुमारी नर्बदा राजा महाकाल की पुत्री थीं और राजा महाकाल ने अपनी बेहद सुंदर पुत्री के लिए यह तय किया था कि जो राजकुमार गुलभ जो कि एक दुर्लभ पुष्प है, की बलि लेकर आएगा, वही उनकी पुत्री का दूल्हा बनेगा। ऐसे में राजा सोनभद्र जो कि नदी थे,
मतलब नदी का पुरुष रूप इस दुर्लभ पुष्प को लाने में सफल हुआ और राजकुमारी नर्मदा का विवाह सोनभद्र के साथ तय हो गया। नर्मदा जी ने सोनभद्र को देखा नहीं था लेकिन सोनभद्र की सुंदरता और वीरता की कहानियां सुनकर उन्होंने मन ही मन उसे अपना पति मान लिया था। विवाह में कुछ दिन और बचे थे लेकिन नर्मदा खुद को रोक नहीं पाई इसलिए उसने अपनी दासी जुला के जरिए प्रेम पत्र भेजने का विचार किया।
जूही ने उसे चिढ़ाने का विचार किया और राजकुमारी से उसके वस्त्र और आभूषण मांग लिए और राजकुमार से मिलने चली गई। जब जूही राजकुमार के सामने पहुंची तो राजकुमार को लगा कि यह नर्मदा है और जुला की नीयत भी भ्रष्ट हो गई। जूही को आने में बहुत देर हो गई और दूसरी तरफ नर्मदा जी का धैर्य टूट गया और नर्मदा भी सोनभद्र से मिलने के लिए चल पड़ी लेकिन अफसोस तो हुआ लेकिन नर्मदा स्वाभिमान और विद्रोह का प्रतीक बन गई।
पलटकर नहीं देखी। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस कहानी की पूरी सच्चाई भौगोलिक दृष्टि से भी देखी जा सकती है। जैसीनगर गांव के पास झूला नाम की एक नदी बहती है जिसे प्रदूषित माना जाता है। शायद अपने छल-कपट के कारण ही इस नदी को पवित्र नदियों में शामिल नहीं किया जाता। और दशरथ घाट पर जूला के साथ सोनभद्र नदी का संगम भी होता है। कहानी के अनुसार जूला और सोनभद्र के दर्शन करने के बाद नर्मदा जी वहां से मुड़ जाती हैं और इस घाट के बाद नर्मदा जी उल्टी दिशा में बहती नजर आती हैं।
रानी और दासी के राजसी वस्त्र बदलने की कहानी भी इलाहाबाद के पूर्वी हिस्से में आज भी काफी प्रचलित है। कहानी के अनुसार छल किए जाने के बाद नर्मदा जी ने आजीवन कुंवारी रहने का संकल्प ले लिया नर्मदा की परिक्रमा करते हुए कई लोग बताते हैं कि आज भी मंडला के आस-पास के इलाके में नर्मदा का विलाप सुनाई देता है।
इस घटना के बाद नर्मदा बंगाल की खाड़ी की अपनी यात्रा छोड़कर अरब सागर की ओर भाग गई। भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो हमारे देश की सभी बड़ी नदियाँ बंगाल की खाड़ी में मिलती हैं, लेकिन नर्मदा अपने स्वाभिमान के लिए अरब सागर में विलीन हो गई और तब से नर्मदा को चीर कावर भी कहा जाता है।
विंध्य की राजधानी का इन्हीं से पड़ा नाम
दरअसल, नर्मदा नदी को रेवा के नाम से भी जाना जाता है। विंध्य की मशहूर राजधानी रीवा का नाम नर्मदा नदी यानी रेवा से पड़ा। यहां नर्मदा नदी को इज्जत सम्मान दिया जाता है हालांकि मध्य प्रदेश का जीवन स्रोत नर्मदा नदी को ही माना गया है तथा यह मध्य प्रदेश की सबसे पवित्र नदी में से एक है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि नर्मदा नदी हमारी मां है।