Crime news: हमारे देश में पत्रकारिता बहुत ही मनमोहक और आकर्षण से भरी हुई है लेकिन हर छोटी-छोटी बात पर पत्रकारों पर मुकदमा कर दिया जाता है. आपने हाल ही में देखा होगा कि किस तरह की तस्वीर आई. कैसे एक डिजिटल मीडिया के पत्रकार को पुलिस ने जंजीरों में जकड़ रखा था. पत्रकारों पर कई तरह के केस होते हैं ।

Crime news: नेताओ के इशारे पर पत्रकारो के खिलाफ हो रहे फर्जी मुकदमे

उनमें से एक ये भी है कि आलोचना करने पर भी उन पर झूठे केस दर्ज कर दिए जाते हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट का शुक्रिया कि उसने इस पर संज्ञान लिया. हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश की. उत्तर प्रदेश में एक पत्रकार पर सिर्फ सरकार की आलोचना करने पर केस दर्ज कर दिया गया और वो केस चल रहा था. लेकिन जिन पत्रकारों के खिलाफ ये केस दर्ज किया गया था उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खटखटाये और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने जो अहम टिप्पणी की वो आप सभी पत्रकारों के लिए भी अहम है ।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आलोचना करने पर पत्रकार पर मुकदमा नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिर्फ आलोचना करने पर पत्रकार पर मुकदमा नहीं किया जा सकता. सरकार की आलोचना करने पर आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जा सकता. पत्रकार पर 20 सितंबर को केस दर्ज किया गया था. मामला जब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो जस्टिस हृषिकेश रॉय और एस वी एम भाटी की बेंच ने यह टिप्पणी की।

उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान होना चाहिए। अब कोर्ट ने भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात की है। कोर्ट ने यहां कहा कि संविधान के अनुच्छेद 191 ए यानी आर्टिकल 191 ए के तहत पत्रकारों को जो अधिकार मिले हैं, वे आर्टिकल 191 ए के तहत नहीं आते।

Crime news: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता क्या है

भारत के प्रत्येक नागरिक को छह मौलिक अधिकार प्राप्त हैं। उन्हीं मौलिक अधिकारों में से एक है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जो 191A के अंतर्गत आती है। इसके अंतर्गत भारत के सभी नागरिक अपनी बात कहने और सुनने के लिए स्वतंत्र हैं। हमारे प्रेस और मीडिया भी इसी अनुच्छेद के अंतर्गत आते हैं। तो जो अधिकार भारत के नागरिकों के लिए सुरक्षित हैं, वही अधिकार एक पत्रकार के भी हैं जो इस अधिकार के अंतर्गत सुरक्षित हैं।

फोटो हुई वायरल

आपको यह भी पता होना चाहिए कि हमारे सभी मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किसी आपात स्थिति को छोड़कर नहीं किया जा सकता है। अगर कोई किसी मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कई बार फैसले भी दिए हैं, जैसा कि इस मामले में हुआ, जैसे यूपी में पत्रकार के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। उसके बाद वह हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट गया जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की और इसके अलावा उन्होंने राज्य सरकार को नोटिस भी जारी कर जवाब देने को कहा।

रीवा में पत्रकारों की हो रही ज्यादती

रीवा जिले में पत्रकारो के साथ खबर कबरेज के दौरान अभद्रता की जाती है ऐसे कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं जहां पत्रकारों को खबर की खुन्नस को लेकर उनके खिलाफ षडयंत्रज कर फर्जी मुकदमे लगा दिए जाते हैं फिर चाहे वह महिला संबंधी अपराध हो या एनडीपीएस अपराध हो रीवा में ऐसे कई पत्रकार है जिनके खिलाफ खुद रीवा पुलिस ने ही फर्जी मुकदमे दर्ज कर चुकी है ।