केंद्र सरकार ने 18 महीने के महंगाई भत्ते (DA Arrears) को लेकर अपना रुख साफ कर दिया है। लंबे समय से इंतजार कर रहे केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए यह खबर किसी झटके से कम नहीं है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि जनवरी 2020 से जून 2021 तक का रोका गया डीए और डीआर (Dearness Relief) अब जारी नहीं किया जाएगा।

लोकसभा में उठा सवाल, सरकार का स्पष्ट जवाब

3 फरवरी 2025 को लोकसभा में सांसद आनंद द्वारा यह मुद्दा उठाया गया था। उन्होंने सरकार से सीधा सवाल किया कि कोविड-19 के दौरान रोके गए डीए एरियर का भुगतान कब किया जाएगा। इस पर जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि सरकार इस बकाया राशि को नहीं देने जा रही है।

कोरोना काल में क्यों रोका गया था डीए

कोविड महामारी के दौरान देश की आर्थिक स्थिति डगमगाने लगी थी। इस संकट के बीच सरकार ने जरूरी खर्चों को प्राथमिकता दी और कर्मचारियों का डीए और पेंशनरों का डीआर रोक दिया। इससे लगभग 34,402 करोड़ रुपये की राशि पर रोक लगी, जो 18 महीने का बकाया बन गई।

कर्मचारी संगठनों ने जताई नाराजगी

सरकार के इस फैसले से कर्मचारी संगठनों में नाराजगी है। राष्ट्रीय संयुक्त परिषद (NCJCM) और अन्य संघों ने सरकार से मांग की है कि यह राशि किस्तों में ही सही, कर्मचारियों को दी जाए। उनका कहना है कि यह कर्मचारियों का हक है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट का हवाला भी काम नहीं आया

कर्मचारी संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के उस पुराने फैसले का हवाला भी दिया, जिसमें बकाया भुगतान ब्याज सहित करने की बात कही गई थी। बावजूद इसके, सरकार ने इस तर्क को खारिज कर दिया और अपने निर्णय पर कायम रही।

बजट 2025 में भी निराशा हाथ लगी

कई कर्मचारियों को उम्मीद थी कि केंद्रीय बजट 2025 में इस मुद्दे पर कुछ राहत मिलेगी। मगर बजट में डीए एरियर को लेकर कोई ठोस घोषणा नहीं की गई। इससे कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में गहरी निराशा फैली है।

आर्थिक असर: लाखों को नुकसान

डीए एरियर की राशि प्रत्येक कर्मचारी की सैलरी और ग्रेड पर निर्भर करती है। अनुमान है कि यह राशि कई मामलों में लाखों रुपये तक पहुंचती है। अब जब यह रकम नहीं मिलेगी, तो इससे उनकी आर्थिक योजनाओं पर असर पड़ेगा — जैसे घर की किस्त, बच्चों की पढ़ाई, या रिटायरमेंट फंड।