Cm mohan yadav जब मोहन यादव को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया तो इसका सबसे बड़ा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को जाता है, जिन्होंने भारतीय राजनीति में भाई-भतीजावाद की परंपरा को खत्म करने के लिए तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बदल दिया। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में तीसरी पंक्ति के व्यक्ति को चुनकर उसे मुख्यमंत्री बनाना एक बड़ी उपलब्धि थी और भाजपा कार्यकर्ताओं में एक नया उत्साह आया कि एक भाजपा कार्यकर्ता भी कभी कुछ बन सकता है।

Cm mohan yadav: Bjp कार्यकर्ताओ में भरा उत्साह

इस तरह का उत्साह पूरे भाजपा कार्यकर्ताओं में भर गया और इसका सकारात्मक परिणाम लोकसभा चुनावों में भी देखने को मिला। मध्य प्रदेश की सभी 29 सीटें भाजपा की झोली में गईं क्योंकि कार्यकर्ता उत्साहित थे क्योंकि राज्य को नया मुख्यमंत्री मिला था, पूरा मध्य प्रदेश भी खुश था और क्योंकि मध्य प्रदेश एक व्यक्ति से ऊब भी गया था, सच तो यह है कि कहीं न कहीं खुशी की लहर थी लेकिन अब मोहन यादव पर तलवार लटक रही है।

Cm mohan yadav: Cm की कुर्सी क्यो खतरे में



मुख्यमंत्री की कुर्सी मोहन यादव के लिए खतरे में है और क्यों खतरे में है। अब जानते हैं कि दोनों क्यों इसे खतरे में डाल रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह इसे खतरे में डाल रहे हैं। और जैसा कि विपक्ष लगातार आरोप लगाता है कि यह मुख्यमंत्री की चूक है। तो अमित शाह और नरेंद्र मोदी के कहने पर मध्य प्रदेश में मुख्य सचिव का फैसला हमें सरल शब्दों में समझना होगा। करीबी नौकरशाह राजेश राजोरा मोहन यादव के पसंदीदा थे। मोहन यादव उन्हें मध्य प्रदेश का मुख्य सचिव बनाना चाहते थे। वह चाहते थे कि राजेश राजोरा को मुख्य सचिव बनाया जाए लेकिन रातों-रात दिल्ली से फोन आता है और पूरे वल्लभ भवन में हलचल मच जाती है और रातों-रात अनुराग जैन को मुख्य सचिव चुन लिया जाता है !

. पीएमओ के बेहद करीबी अनुराग जैन को दिल्ली से भोपाल भेज दिया जाता है. अनुराग जैन अब आज से ही मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव का पदभार संभालेंगे. अब मुख्य सचिव की भूमिका को समझना होगा. मध्य प्रदेश सरकार का काम मुख्य सचिव के आदेश पर ही होगा. यानी मोहन यादव चाहते थे कि राजेश राजोरा को मुख्य सचिव बनाया जाए, लेकिन दिल्ली के दोनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने इस फैसले को पलट दिया और पीएमओ के बेहद करीबी अनुराग जैन को मुख्य सचिव बना दिया गया. ।

यानी अब मध्य प्रदेश में क्या होना है, इसके लिए दिल्ली से निर्देश होंगे. कहीं न कहीं इसे मोहन यादव की अवहेलना भी माना जा रहा है. माना जा रहा है कि मोहन यादव का चुनाव में सही इस्तेमाल किया और उनका सही इस्तेमाल करने के बाद अब उनकी कुर्सी खतरे में है. इन दोनों चाणक्यों की नजर मोहन यादव की कुर्सी पर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की नजर इस पर है।

क्योंकि मोहन यादव वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बहुत करीब हैं और इसीलिए उन्हें मुख्यमंत्री चुना गया लेकिन आरएसएस और बीजेपी के बीच अंदरूनी कलह है। हम यह नहीं कह सकते कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी के बीच अंदरूनी मतभेद हैं लेकिन नरेंद्र मोदी नाम के एक खास व्यक्ति और आरएसएस के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कुछ अंदरूनी कलह है ।

चूंकि मोहन यादव आरएसएस के बहुत करीब हैं इसलिए उन्हें रास्ते से हटाने के ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं और यह डिमोटिवेशन का सबसे बड़ा उदाहरण है कि मोहन यादव चाहते थे कि राजेश राज प्रदेश के मुखिया बनें और राजेश राजौरा जो मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव हैं, उस फैसले को नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने रातों-रात पलट दिया और अनुराग जैन को मुख्य सचिव बना दिया गया है। सरकार का सारा काम मुख्य सचिव के आदेश पर होता है। अब इसमें एक बात साफ है कि मध्य प्रदेश में जो भी होगा दिल्ली के इशारे पर जो भी फैसला होगा वो दिल्ली ही लेगा ।

वह मुख्यमंत्री हैं और मुख्यमंत्री के पद पर हैं, लेकिन फिर भी कहीं न कहीं मोहन यादव अभी भी असमंजस की स्थिति में हैं। इसमें एक और बात जो सामने आती है वो ये कि क्या वाकई मोहन यादव को चुनावों में इस्तेमाल करने के लिए मुख्यमंत्री बनाया गया था। क्या वाकई आने वाले समय में मोहन यादव की कुर्सी खतरे में है? क्या वाकई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह आरएसएस से निकले लोगों को किनारे करने की तैयारी कर रहे हैं और क्या वाकई आरएसएस भारतीय जनता पार्टी का साथ छोड़ देगा? ये तमाम सवाल राजनीतिक गलियारों में, राजनीतिक विश्लेषकों और राजनीति को समझने वाले लोगों के मन में हैं। लेकिन अगर ऐसा हुआ तो क्या भारतीय जनता पार्टी टूट नहीं जाएगी? ये भी सबसे बड़ा सवाल है।

अब भाजपा में कुछ भी हो सकता है, कोई भी कार्यकर्ता कुछ भी बन सकता है लोगो का कहना है कि चुनाव में यादवों को लुभाने के लिए मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया। उन्होंने बिहार और यूपी में खूब रैलियां कीं, लेकिन यूपी में अखिलेश यादव का प्रभाव ज्यादा था, इसलिए मोहन यादव वहां फेल हो गए और चुनाव में चर्चा हो रही है कि इन दोनों ने मोहन यादव का लोकसभा चुनाव में बखूबी इस्तेमाल किया है, अब मोहन यादव के जाने का समय आ गया है, राजनीतिक गलियारों में भी इसकी चर्चा हो रही है, अखबारों की सुर्खियों में भी इसकी चर्चा हो रही है, जब वरिष्ठ पत्रकारों से इस विषय पर चर्चा होती है, राजनीति को समझने वालों के मन में भी यही बात है कि अब मोहन यादव का पूरी तरह से इस्तेमाल हो चुका है,

अब मोहन यादव सिर्फ कठपुतली की तरह काम करेंगे, अगर कुर्सी पर रहे तो कठपुतली की तरह ही रहेंगे, उनकी कोई बात नहीं चलेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि अनुराग जैन जो मुख्य सचिव बने हैं, वो शिवराज सिंह चौहान के भी करीबी थे और पीएमओ के भी बहुत करीबी थे और उनके आदेश पर ही मध्य प्रदेश में काम होना है. मोहन यादव राजेश राजोरा को मुख्य सचिव बनाना चाहते थे, सूत्रों के मुताबिक, लेकिन वो मुख्य सचिव नहीं बने. और इसी वजह से कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या मोदी और शाह मोहन यादव की कुर्सी छीनने की तैयारी कर रहे हैं.।

अगर उन्होंने कुर्सी छीन ली तो क्या मध्यप्रदेश के डिप्टी सीएम यानी राजेन्द्र शुक्ल बनेंगे एमपी का सीएम ये सारी बातें हैं, सारे कयास हैं और कोई भी कहीं भी कुछ भी अनुमान लगा सकता है. ये राजनीतिक गलियारों का अनुमान था. ।

https://twitter.com/amar_mis/status/1843728356673818762?s=19