India news: Journlist पत्रकार को मिले लीगल नोटिस तो क्या करें ,क्या है लीगल राइट्स
India news: अगर किसी पत्रकार को लीगल नोटिस मिल जाए तो उसके लिए बहुत मुश्किल स्थिति हो जाती है और उसे इससे कैसे निपटना चाहिए? वो नोटिस वैसे भी डराने के लिए होती है. किसी भी पत्रकार को नोटिस मिलने पर डरना नहीं करना चाहिए. अगर ऐसा कोई लीगल नोटिस मिलता है तो सबसे पहली …

India news: अगर किसी पत्रकार को लीगल नोटिस मिल जाए तो उसके लिए बहुत मुश्किल स्थिति हो जाती है और उसे इससे कैसे निपटना चाहिए? वो नोटिस वैसे भी डराने के लिए होती है. किसी भी पत्रकार को नोटिस मिलने पर डरना नहीं करना चाहिए. अगर ऐसा कोई लीगल नोटिस मिलता है तो सबसे पहली बात जो आपको करनी चाहिए वो है कि बिल्कुल भी घबराना नहीं चाहिए. सिर्फ और सिर्फ पत्रकारों को डराने के लिए है. और भारतीय साक्ष्य अधिनियम इसी उद्देश्य से बनाया गया है ।
. जब रिपोर्टर फील्ड में जाते हैं तो किसी के हित प्रभावित होते हैं और जब वो जनता की बात करते हैं तो कोई न कोई नाराज हो जाता है. फिर धमकियों का सिलसिला शुरू होता है. धमकियां किसी भी रूप में आ सकती हैं. और कभी-कभी ये लीगल नोटिस की रूप में आती हैं. तो जब किसी पत्रकार को लीगल नोटिस मिलता है तो उसे इसका जवाब कैसे देना चाहिए? औचित्य क्या है?
यह बहुत ही प्रतीक्षित विषय है। कई बार पत्रकार इस पर बात करते हैं। मैं आपको एक कानूनी नोटिस दिखाना चाहता हूँ जो एक पत्रकार को भेजा गया है। हम इसकी भाषा और कार्रवाई के बारे में बात करेंगे। इसमें एक पत्रकार है जिसने पंचायत के खिलाफ कुछ रिपोर्टिंग की थी। उसके बाद पंचायत यानी सरकारी विभाग ने पत्रकार को कानूनी नोटिस भेजा। तो अब पत्रकार को क्या करना चाहिए?
जब भी कोई लीगल नोटिस आता है ।
और लीगल नोटिस चाहे पत्रकार का हो या आम आदमी का लेकिन हम खास तौर पर पत्रकारों की बात कर रहे हैं कि अगर किसी पत्रकार को लीगल नोटिस मिलता है तो उसके लिए बहुत मुश्किल स्थिति हो जाती है और उसे इससे कैसे निपटना चाहिए क्योंकि मैं देख रहा हूं कि एक यूट्यूबर है और जिस यूट्यूबर को ये लीगल नोटिस मिला है वो राजस्थान से है और जब भी किसी यूट्यूबर को लीगल नोटिस मिलता है कि आपने जो रिपोर्ट दिखाई है वो गलत है और अगर आप माफी नहीं मांगते या अपनी रिपोर्ट चैनल से नहीं हटाते तो हम आपके खिलाफ मानहानि का केस करेंगे और आपके खिलाफ 99 पर क्रिमिनल केस करेंगे सिर्फ 99 पर धमकाने के लिए और सिर्फ डराने के लिए और कोशिश ये है कि यूट्यूबर की हैसियत क्या है उसे दिखाया जाए.।
यही हाल एक रिपोर्टर का भी है. जब मैं ये कह रहा हूं तो इसका मतलब है कि मैं सिर्फ रिपोर्टर की बात कर रहा हूं. मैं ऐसे रिपोर्टर की बात कर रहा हूं जिन्हें ज्यादातर यूट्यूब ने कहा है कि आपने हमसे वेरिफिकेशन नहीं किया. आप हमें अपने सोर्स बताएं. दो चीजें हैं. अब पहली बात ये कि मैं सोर्स बताने के लिए बाध्य नहीं हूं ।
मुझे उन सूत्रों को बताना है कि मुझे ये खबर कहां से मिली। मैंने इसकी पुष्टि बिल्कुल नहीं की है। पुष्टि करना मेरा काम नहीं है। मैं एक वर्जन ले सकता हूं। मैं आपसे पूछ सकता हूं कि आपको क्या कहना है। आप भी मुझे बताइए। और अगर आप अपनी बाइट नहीं देते हैं। अगर आप इस पर अपना फीडबैक नहीं देते हैं तो ऐसा हो सकता है कि हम दिखा सकते हैं कि हमने कॉल करने की कोशिश की लेकिन कोई जवाब नहीं आया। इसलिए हम दिखा रहे हैं। मैं इसमें भाषा के बारे में बात करूंगा क्योंकि भाषा कानूनी है। वहां पर लिखा है कि इंडियन एविडेंस एक्ट 2023 के हिसाब से हमने हर चीज का सबूत रखा है और अब हम आपको बताएंगे। इस पर वो जवाब देने की धमकी दे रहे हैं।
अगर नोटिस में भारतीय साक्ष्य अधिनियम का जिक्र है कि साक्ष्य अधिनियम क्या कहता है तो यह हास्यास्पद है। इसका कारण यह है कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम इसलिए बनाया गया है कि कोई भी आपराधिक मामला या सिविल मामला जो कोर्ट में होगा उसे साबित करने के लिए जो सबूत चाहिए वह भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अंतर्गत आता है। रिपोर्ट दिखाने के लिए मैं एक मीडियाकर्मी हूं, मैं चाहे किसी भी प्लेटफॉर्म पर कवरेज करूं, चाहे अखबार में करूं या कहीं भी खबरें दिखाऊं, मुझे उन खबरों को दिखाने के लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम का पालन करने की जरूरत नहीं है
क्योंकि भारतीय साक्ष्य अधिनियम इसलिए है कि आप कोर्ट में सबूत पेश करके उसे साबित कर सकें, हां अगर पत्रकार के पास यह सबूत है तो वह कोर्ट में जरूर पेश करेगा, अगर मान लीजिए कोई मानहानि का दावा होता है या कुछ और होता है तो वह कोर्ट में जाकर अपने सबूत दिखा सकता है। किसी भी व्यक्ति को कोई सबूत दिखाने की जरूरत नहीं है और सबसे बड़ी बात ये है कि जब हम कोई कवरेज करते हैं।
और जब हम किसी पर कोई आरोप लगाते हैं तो अपनी कवरेज में ही हम सबूत दिखाते हैं, अपनी कवरेज में ही हम दिखाते हैं कि ये रिपोर्ट है और इस रिपोर्ट के आधार पर हम बता रहे हैं कि सामने वाला भ्रष्ट है, अगर हम बिना सबूत दिखाए किसी पर आरोप लगाते हैं तो वो रिपोर्ट वैसे भी बोगस है, किसी पत्रकार को ये नहीं करना चाहिए, किसी पत्रकार या लेखक को ये नहीं करना चाहिए, है ना?
लेकिन मूल रूप से आप एडवोकेट से बात कर सकते हैं कि नोटिस को वेरीफाई करना क्यों जरूरी है, ये ध्यान में रखें कि एडवोकेट से नोटिस को वेरीफाई करना क्यों जरूरी है, ये इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अगर नोटिस आया है तो उसमें क्या-क्या कंटेंट है, उसे एडवोकेट के साथ पढ़कर हम समझ सकते हैं कि कितना
मुद्दा ये है कि अगर नोटिस मिले तो क्या करना चाहिए, मैं भी यही बात कह रहा हूँ। मेरा अगला सवाल था कि अगर नोटिस मिले तो क्या कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए? इसे टाला नहीं जा सकता। देखिए अगर ऐसा कोई कानूनी नोटिस मिले तो पहली बात तो ये है कि आपको बिल्कुल भी घबराना नहीं चाहिए। पहली बात तो ये है कि आपको घबराने की जरूरत नहीं है।
हां, एक बात बहुत तय है कि इसके बाद आपको किसी एडवोकेट से संपर्क करना चाहिए। अच्छी बात ये है कि लीड इंडिया की हमारी फ्रेंचाइजी लॉ फर्म हैं, आप हमसे संपर्क कर सकते हैं, आपको बिल्कुल भी चिंता करने की जरूरत नहीं है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति सिर्फ यूट्यूबर है, किसी संगठन से जुड़ा नहीं है, उसके पास कोई कानूनी सहायता नहीं है, तो भी वो चाहे तो हमें लीड इंडिया पर कॉल कर सकता है और अगर वो नोटिस देखता है, तो उसमें शिकायत है, आगे क्या कार्रवाई हो सकती है, और उसके आधार पर आप अपना केस कर सकते हैं, आप उस नोटिस का जवाब दे सकते हैं।
तो अगर कोई नोटिस आता है तो घबराना नहीं चाहिए बल्कि किसी एडवोकेट से आपको संपर्क करना चाहिए, इसका मतलब है कि आपको लीगल नोटिस का जवाब लीगल तरीके से देना चाहिए, बिल्कुल, अगर सरकार की तरफ से है, जैसे इस केस में सरकारी संस्था है, MCD और पंचायत, इन डिपार्टमेंट ने दिया है, तो उनको जवाब इसी में दिया जाएगा या किसी व्यक्ति विशेष को क्योंकि आमतौर पर होता है कि सरकारी डिपार्टमेंट की तरफ से नोटिस नहीं आता है, लेकिन अगर कोई सरकारी डिपार्टमेंट नोटिस भेजता है,
तो समझ लीजिए कि उस डिपार्टमेंट ने किसी तरह नोटिस भेज दिया, आपको तुरंत किसी एडवोकेट से संपर्क करना चाहिए और उस सरकार या उस डिपार्टमेंट को पार्टी बनाना चाहिए और उनको पार्टी बनाने के बाद उनके खिलाफ केस फाइल करना चाहिए, फिर इस पर लीगल एक्शन होना चाहिए, बिल्कुल सख्त एक्शन होना चाहिए और हमारे जितने भी यूटर साथी या दूसरे पत्रकार साथी जो देख रहे हैं, मैं आपसे कहता हूं कि जब भी आप कोई कवरेज करें, निष्पक्ष होकर कवरेज करें, जब भी आप कोई कवरेज कर रहे हैं, हमें कुछ डेटा के आधार पर करना चाहिए, कुछ विजुअल के आधार पर करना चाहिए जो बताते हैं कि वाकई भ्रष्टाचार हुआ है। एक पत्रकार या रिपोर्टर की सबसे बड़ी ताकत उसके दर्शक होते हैं जो देख रहे होते हैं कि आप क्या कह रहे हैं।
रिपोर्ट देखकर यह स्वीकार करना कि वाकई भ्रष्टाचार हुआ है, यही आपकी ताकत है और यह तभी स्वीकार होगा जब आप जो रिपोर्ट दिखा रहे हैं उसमें तथ्य के साथ-साथ दृश्य भी होने चाहिए जो यह साबित करें कि अपराध या भ्रष्टाचार हुआ है, तो निश्चित तौर पर आपको कोई नहीं रोक सकता, आपको आपके काम से कोई नहीं डिगा सकता, अगर कोई और आपको गलत तरीके से परेशान कर रहा है तो आप हमारे पास आइए, हम आपकी पूरी मदद करेंगे, तो कुल मिलाकर अगर आपको कोई लीगल नोटिस आता है तो चिंता मत कीजिए बल्कि उसका जवाब देने के लिए सबूत अपने पास रखिए।