MP News: मध्य प्रदेश के लाखों कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है। नए साल में उनकी सैलरी बढ़ जाएगी। हाईकोर्ट के फैसले के बाद सरकारी अधिवक्ता की राय से कर्मचारियों के एरियर का रास्ता भी खुल गया है।

इसके मुताबिक प्रदेश के आउटसोर्स और अस्थाई कर्मचारियों समेत करीब 35 लाख कर्मचारी 1 अप्रैल 2024 से न्यूनतम पुनरीक्षित वेतन का लाभ पाने के हकदार होंगे। इसके मुताबिक मध्य प्रदेश न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड द्वारा श्रमिकों के वेतन में 25 फीसदी बढ़ोतरी की सिफारिश लागू की जाएगी।

इंदौर हाईकोर्ट के 3 दिसंबर 2024 के आदेश पर श्रमायुक्त ने प्रदेश के सरकारी अधिवक्ता की राय मांगी थी। इस पर सरकारी अधिवक्ता भुवन गौतम ने अपनी राय दी है। उनका कहना है कि विवादित अधिसूचना का लाभ सभी कर्मचारियों, श्रमिकों को 1 अप्रैल 2024 से ही मिलना चाहिए।

हाईकोर्ट ने उस स्टे को निरस्त कर दिया है जिसके तहत विवादित अधिसूचना के क्रियान्वयन पर रोक लगाई गई थी। ऐसी स्थिति में श्रमिकों को अप्रैल-24 से ही न्यूनतम पुनरीक्षित वेतन दिया जाना उचित होगा।

बता दें कि प्रदेश में न्यूनतम वेतन सलाहकार बोर्ड ने 2019 में वेतन में 25 फीसदी बढ़ोतरी की अनुशंसा की थी। राज्य सरकार ने इसे अप्रैल 2024 में लागू किया, लेकिन कर्मचारियों और श्रमिकों को सिर्फ एक माह का ही बढ़ा हुआ वेतन मिल सका।

एमजी टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन की याचिका पर हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने वेतन बढ़ोतरी की अधिसूचना के संचालन और क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। 3 दिसंबर 24 को मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 8 मई-24 के अंतरिम आदेश को निरस्त कर दिया, हाईकोर्ट के निर्णय के परिप्रेक्ष्य में शासकीय

अधिवक्ता की राय के बाद न्यूनतम पुनरीक्षित वेतन पर श्रम विभाग का आदेश जल्द जारी होने की उम्मीद है। हाईकोर्ट ने रोक को बरकरार रखा है, इसलिए आदेश 1 अप्रैल 2024 से ही लागू होगा, यानी वेतन बढ़ोतरी तभी से देनी होगी। इस तरह कर्मचारियों और श्रमिकों को 9 माह का एरियर भी देय होगा।

इंदौर हाईकोर्ट के फैसले के एक महीने बाद भी श्रमायुक्त ने न्यूनतम संशोधित वेतन का आदेश जारी नहीं किया। इस पर सीटू ने 6 जनवरी को श्रमायुक्त और श्रम विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस भेजा, जिसमें कोर्ट की अवमानना का मामला दर्ज करने की चेतावनी दी।