Mp politics : राजनीति में शुरू है ब्राम्हणों के बीच गैंगवार क्या सांसद नही चाहते कि CM आये त्यौथर
Mp politics : रीवा की ब्राह्मण बाहुल्य राजनीति इस समय ऐसी उलझ गई है कि पूछिए मत सत्ताधारी BJP के ब्राह्मण नेता आपस में ही इन दिनों लड़ रहे हैं, विपक्ष और जनता मजे ले रही है विंध्य की इस सियासी गैंगवार में कई विधायकों सहित Rewa के सांसद Janardan Mishra भी शामिल है। वीडियो यूट्यूब …

Mp politics : रीवा की ब्राह्मण बाहुल्य राजनीति इस समय ऐसी उलझ गई है कि पूछिए मत सत्ताधारी BJP के ब्राह्मण नेता आपस में ही इन दिनों लड़ रहे हैं, विपक्ष और जनता मजे ले रही है विंध्य की इस सियासी गैंगवार में कई विधायकों सहित Rewa के सांसद Janardan Mishra भी शामिल है।
पार्टी के सूत्र बताते हैं कि सांसद सिर्फ मोहरा हैं ,पीछे से खेल कोई और खेल रहा है प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव रीवा पर नजर बनाए हुए हैं। अब देखना है कि CM Mohan Yadav 17 सितम्बर को त्योंथर दौरा करते हैं या नहीं।
रीवा की बात करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि पिछले कुछ दिनों से यहां के सत्ताधारी नेताओं के बीच सर फवल की नौबत तो जाहिर है कि जनता का सियासी मनोरंजन भी जमकर हो रहा है लेकिन इन सबके बीच ब्राम्हण बाहुल्य क्षेत्र में पिछले रविवार को रीवा शहर के विंध्या रिट्रीट में ब्राह्मण रत्न सम्मान का आयोजन हुआ।
जिसमें प्रदेश के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला को ब्रह्णरत्न सम्मान से नवाजा गया अभी तक आपने भारत रत्न सम्मान ही सुना होगा लेकिन अब ब्रह्न रत्न सम्मान भी सुन लीजिए इस गरिमामई समारोह में उस समय अप्रिय स्थिति पैदा हो गई जब वहां मौजूद रीवा सांसद जनार्दन मिश्रा ने अपने चिर परिचित अंदाज में कार्यक्रम की गरिमा में ग्रहण लगा दिया है हम बताते हैं।
कि सांसद जी क्या बोल रहे हैं सांसद कह रहे हैं कि आज अगर सर्वाधिक प्रश्चित करने का हक किसी को है तो वह ब्राह्मण समाज हमारे पूर्वजों ने जो आचरण अपनाया था आज समाज की नई पीढ़ी उसी चीज को भोग रही है।
हैरानी की बात है कि रीवा सांसद जब यह बयान दे रहे थे उस समय डिप्टी सीएम मुस्कुरा रहे थे एक ब्राह्मण ही जब ब्राह्मण की बुराई करे और हसी उड़ाए एक ब्राह्मण नेता पर गलत टिप्पणी करें तो इसे तो आपस में भिड़ना ही कहा जाएगा।
डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला सांसद जनार्दन मिश्रा को लेकर शहर के तीसरे फ्लाई ओवर के लोकार्पण पर पहुंचे लेकिन वहां भी सांसद जी का बीपी कंट्रोल में नहीं था लोकार्पण भाषण में वह पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी को कोसने लगे और कोसते
कोसते थोड़ा दूर तक निकल गए उस समय श्रीनिवास तिवारी यहां के सर्वे सरवा हुआ करते थे संसद ने कहा श्री निवास कहते थे " दादा न आहन दउ आहन वोट न देवये तउ आहन "" दउ एक थे गढ्ढा नही पाट पाईस
श्री निवास तिवारी तो क्या अपने आप ही गड्ढे भर गए परेड ग्राउंड जाने वाली सड़क है जहा कुछ दिनों पूर्व बड़े बड़े नेता 15 अगस्त को झंडा फहरा कर निकले थे यह गड्ढे आज भी जस के तस है लेकिन रीवा सांसद झूठी वाहवाही के नए कीर्तिमान गढ़ने में इतने व्यस्त है
कि यह गड्ढे उन्हें दिखाई ही नहीं देते अब आगे सांसद जनार्दन मिश्रा का बीपी अगले दिन भी नॉर्मल नहीं हुआ एक पत्रकार के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने श्रीनिवास तिवारी को भ्रष्टाचारी और लुटेरा तक कह डाला।
श्रीनिवास तिवारी ने आतंक गुंडागर्दी लूट भ्रष्टाचार पक्षपात की राजनीति की हैरानी की बात है कि सांसद की इस नॉन स्टॉप और अनवांटेड बयानबाजी पर पार्टी ने अभी तक कोई रोक टोक नहीं लगाई तो लोगों को शंका है शायद सांसद बकवास नहीं कर रहे हैं बल्कि जानबूझकर यह बकवास उनसे कराई जा रही है।
खैर श्रीयुत पर हो रहे लगातार हमलो के बीच कांग्रेसियों ने सांसद का पुतला फूक कर तिरोध जताने की औपचारिकता को तो पूरा कर दिया लेकिन जिसे कड़ा विरोध करना था वह इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताकर मौन हो गया हम बात कर रहे हैं।
श्रीयुत के पोते और त्योंथर से बीजेपी के विधायक सिद्धार्थ तिवारी की जो विधानसभा चुनाव के पहले अपने बाबा की कांग्रेसी विरासत छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे उन्हों ने मीडिया के सवालों का जबाब दिए कि मुझे
आप लोगो के माध्यम अभी जानकारी हुई है निश्चित तौर पर आपत्ति जनक है जो बोला गया है और जिस लहजे में बोला गया है वह आपत्तिजनक है दुर्भाग्यपूर्ण है।
सिद्धार्थ तिवारी राज जिस पार्टी के विधायक हैं उसी पार्टी का सांसद उनके बाबा पर अशोभनीय टिप्पणी करें यह समझिए कि रीवा बीजेपी के भीतर मची इस उठा पटक का क्या मतलब है। सांसद जनार्दन मिश्रा जो कुछ कह रहे हैं वह जानबूझ कर कह रहे हैं।
17 सितंबर को श्रीयुत की जयंती पर उनके विधायक पोते सिद्धार्थ ने सीएम मोहन यादव को अपने विधानसभा क्षेत्र में आमंत्रित किया है सीएम का कार्यक्रम भी तय हो चुका है प्रशासनिक तैयारियां भी शुरू हो चुकी है।
लेकिन सांसद जनार्दन के ऐसे बयान बाजी से लग रहा है कि वह कतई नहीं चाहते कि सीएम मोहन यादव सिद्धार्थ के कार्यक्रम में शामिल हो। 17 सितंबर के पहले इतने विवाद खड़े किए जाए कि सीएम मोहन यादव को रीवा आने से पहले सोचना पड़े मतलब सारी कोशिश यह है कि किसी भी तरह से सीएम का आना रद्द हो जाए।