Rewa news: प्रभारी सीईओ सौरभ संजय सोनवड़े के नगर निगम आयुक्त की पदस्थापना के बाद खाली पड़ा है सीईओ जिला पंचायत पद रीवा जिले की 820 पंचायतों में जंगल राज कभी कचरा गाड़ी के नाम पर तो कभी पीसीसी और ग्रेवल रोड के नाम पर चल रहा बंदरवाट डीएमएफ और सीएसआर फंड के नाम पर भी चल रहा कमीशन का खेल सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने सरकार की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल
मध्य प्रदेश में रीवा जिला पंचायत पूरी तरह से वेंटिलेटर पर आ गया है। 820 ग्राम पंचायतों के कामकाज को देखने के लिए रीवा जिला पंचायत में पूर्णकालिक मुख्य कार्यपालन अधिकारी की पदस्थापना न होने के कारण पंचायती राज व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गई है। बताया जा रहा है कि इसके पहले भी तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा सौरभ संजय सोनवड़े की पदस्थापना के दौरान भी जिला पंचायत रीवा में कामकाज ठीक-ठाक ढंग से नहीं चल रहा था।
Rewa news: कभी कलेक्टर तो कभी आयुक्त
सीईओ सोनवड़े को कभी कलेक्टर का प्रभार तो कभी नगर निगम आयुक्त का प्रभार दिया जाकर रीवा जिले की 820 ग्राम पंचायतों के साथ पहले ही नाइंसाफी की जा रही थी। हालांकि जानकारों का कहना है कि पिछले डेढ़ साल के कार्यकाल के दौरान पंचायती राज व्यवस्था काम चलाऊ ढंग से ही चल पाई है।
इस बीच सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने बताया की रीवा जिले में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा अधिकारियों को अपने कब्जे में लेकर फोटो सेशन और अन्य मीटिंग वगैरह में रत किया जाकर जिला व अन्य पंचायत अधिकारियों की उनकी मूल जिम्मेदारी से भटकाया जाकर ग्राउंड लेवल के कामकाज में ध्यान नहीं दिया जाता है। जिला तहसील और जनपद स्तर के। कार्यालयों में पूरी तरह से अराजकता जैसा माहौल समझ में आता है।
Rewa news: भ्रष्टाचार का लगा आरोप
भ्रष्टाचार अपने चरम पर है जहां इन्हीं नेताओं के द्वारा भ्रष्टाचार को संरक्षण दिया जा रहा है। अधिकारी अपने मूल दायित्व और कर्तव्यों से भटक कर सुबह से लेकर शाम तक नेताओं के इर्द-गिर्द घूमते फिरते रहते हैं। अधिकारी जनता का काम न कर मंत्री और नेताओं की जी हुजूरी करते हैं। यदि रीवा जिला पंचायत और उससे संबंधित 9 जनपदों एवं 820 ग्राम पंचायतों की स्थिति का जायजा लिया जाए तो वहां भी एक तरह से अराजकता का ही माहौल रहा है जहां हजारों की संख्या में शिकायतें लंबित है जिन पर जांच प्रतिवेदन नहीं प्राप्त हो पा रहे हैं।
भ्रष्टाचार अपने चरम सीमा पर है और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा कुछ न कर पाने की स्थिति में असहाय से नजर आते हैं। ऐसी अराजकता पंचायत और जिला पंचायत स्तर पर पहले भी देखने को मिली है। अब बड़ा सवाल यह है कि इन सब पर नकेल कसेगा कौन? जाहिर है अधिकतर अधिकारी नेताओं के इर्द-गिर्द अपना हित साधने और उनकी। खातिरदारी में लगे रहते हैं ऐसे में वह जनता का काम करने से तो पहले ही दूरी बना रखे हैं मात्र उन्हीं का काम करते हैं जो नेताओं के नजदीकी होते हैं।
जिला पंचायत और जनपद पंचायत स्तर से स्टेट फंड के माध्यम से आवंटित किए जाने वाले कार्यों में पूरी तरह से राजनीतिक हस्तक्षेप का बोलबाला रहता है जहां पर जो जितना कमीशन देता है और जहां जिसकी जितनी पहुंच होती है उन्हें उतने कार्य मिल जाया करते हैं। अभी हाल ही में रीवा सांसद जनार्दन मिश्रा के माध्यम से 95 फीसदी से अधिक कार्य मात्र गंगेव और सिरमौर जनपद को ही आवंटित कर दिए गए।
शेष सात जनपदों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। ऐसे ही हाल डीएमएफ और सीएसआर फंड के भी हैं जहां पूरी तरह से कमीशनखोरी का खेल खेला जाता है। आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी ने इस पूरे मामले पर चिंता जाहिर की है और मध्य प्रदेश सरकार से तत्काल सक्षम और निष्ठावान मुख्य कार्यपालन अधिकारी की फुलटाइम पदस्थापना के लिए मांग की है।
मेरा नाम अमर मिश्रा है और मैं मध्यप्रदेश के रीवा जिले का निवासी हूं। मैंने अपनी स्नातक की पढ़ाई B.Com / CA अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय (APSU) से पूरी की है। मुझे मीडिया जगत में काम करते हुए लगभग 9 साल से ज्यादा का अनुभव है।मैंने 2016 में रीवा जिले में पत्रकारिता की शुरुआत की थी और FAST INDIA NEWS से अपने कैरियर की शुरुआत की। इसके बाद, 2017-18 में मैंने मध्यप्रदेश जनसंदेश और आंखों देखी लाइव में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं। 2019 में, मैंने अमरकीर्ति समाचार पत्र में रीवा ब्यूरो प्रमुख के रूप में कार्य किया। 2019-20 से, मैं HARIT PRAWAH समाचार पत्र का सम्पादक हूँ।अपने पत्रकारिता करियर के दौरान, मुझे सटीक और निष्पक्ष समाचार प्रस्तुत करने के लिए कई बार सम्मानित किया गया है। मेरी कोशिश हमेशा यही रही है कि मैं अपने पाठकों को सच्ची और प्रामाणिक खबरें प्रदान करूं।पत्रकारिता के क्षेत्र में मेरी यह यात्रा निरंतर जारी है और मुझे विश्वास है कि भविष्य में भी मैं अपने पाठकों के लिए विश्वसनीय और सटीक समाचार प्रदान करता रहूंगा।
संपादक – अमर मिश्रा