मऊगंज हिंसा पर अब आया एसडीओपी - अंकिता शुल्या का बयान, आपबीती सुन खड़े हो जाएंगे रोंगटे, आरोपियों ने ऐसे की सनी कि हत्या
MAUGANJ NEWS: मऊगंज के गडरा गांव में हुई हिंसा पर पहली बार मीडिया के सामने आई SDOP अंकिता शुल्या ने पूरी वारदात का खुलासा किया जिसे सुनने के बाद हर कोई हैरान है

मऊगंज में हुई घटना को लेकर मृतक सनी द्विवेदी के भाई रोहन ने पीएम रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि 15 मार्च को गांव के ही आदिवासी लोगों ने भाई की हत्या कर दी। यहां तक की सनी को छुड़ाने गई पुलिस टीम पर भी हमलावरों ने पूरे गांव की लाइट काट कर अंधेरे में हमला कर दिया इस हमले में एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई जबकि अन्य 12 घायल थे। इस पूरी वारदात के बाद एसडीओपी अंकित शुल्या का बयान सामने आया है
इन समय में घटी थी पूरी वारदात
2 महीने पहले हादसे में अशोक कोल की मौत। आरोप सनी के परिवार था।
15 मार्च को दोपहर 1 बजे आरोपियों ने सनी को पकड़ा।
1:30 बजे सनी के पिता को कॉल आया।
2 बजे सनी के पिता और भाई अशोक के घर पहुंचे।
3 बजे आसपास के करीब 250 लोग जमा हो गए।
4:30 बजे टीआई समेत पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे।
5:30 बजे लोगों ने पथराव शुरू कर दिया।
6 बजे पुलिसकर्मियों को लोगों ने बंधक बनाकर पीटा।
7 बजे एसडीओपी और बाकी फोर्स मौके पर पहुंचा।
7:30 बजे फोर्स फायरिंग करते हुए घर के अंदर गई।
रात 8 बजे रीवा से फोर्स पहुंची। डंडे मारे।
8:30 बजे लोग भाग गए।
9:30 बजे कलेक्टर-एसपी भी गांव पहुंचे।
10:30 बजे घायल पुलिसकर्मियों को अस्पताल लाया गया।
देर रात 12:30 बजे डीआईजी ने अस्पताल पहुंचकर घायलों का हालचाल जाना।
475 आबादी वाले गांव में 260 पुलिस फोर्स तैनात
मऊगंज जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर गडरा गांव की आबादी केवल 475 लोगों की है। सोमवार को जब मीडिया इस स्थान पर पहुंची तो गांव के प्रारंभ में दो पुलिस वैन और वज्र वाहन सहित प्रशासन की कई गाड़ियां मौजूद रही।
आपको बता दे 32 वर्षीय सनी द्विवेदी को बंधक बनाकर हत्या की गई थी। गांव में पुलिस के 260 जवान मौजूद हैं इन जवानों में जिला पुलिस बल के 40, विशेष सशस्त्र बल के 40, क्विक रिस्पांस फोर्स के 30 जवानों की दो टुकड़ियों, भोपाल के 25वीं बटालियन के 30 और पीटीएस कंपनी के साथ जवान गांव में मौजूद है
एक भी घर में नहीं नजर आए आदिवासी पुरुष
गडरा गांव में आदिवासियों के करीब 50 घर एक साथ बने हुए हैं इनमें एक भी पुरुष नहीं है। सभी पलायन कर चुके हैं एक-दो घरों में महिलाएं बची हुई है, लेकिन जब उनसे सवाल किया गया तब वह उन्होंने जवाब दिया कि " उसे वक्त हम वहां नहीं थे।
गांव में पुलिस लगातार दबिश दे रही है करीब 20 आदिवासियों को हिरासत में ले लिया गया है कुछ ग्रामीणों से पूछताछ के दौरान बात सामने आई लेकिन कोई कैमरे के सामने नहीं आना चाहता
कुछ ग्रामीणों ने बिना कैमरे के सामने आए जानकारी दी की पूरी घटना दो महीने पहले हुई थी। अशोक आदिवासी की हत्या की प्रतिक्रिया में हुई है कुछ लोगों का ऐसा मानना है की मर्डर नहीं बल्कि यह एक्सीडेंट था।
घटना की चश्मदीद SDOP अंकिता शुल्या ने दी जानकारी
उन्होंने कहा " शाम के करीब 6:00 एसडीओपी अंकित शुल्या सहित पुलिस के करीब 30 जवान घटनास्थल पर पहुंचे। पुलिस पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके गांव के बाहर खड़ी एक गाड़ी तक ले गई। पुलिस के जवान आरोपियों को लेकर उनके साथ गांव के बाहर चले गए थे। इसी बीच एसडीओपी ने दरवाजा खुलवाया और कमरे के अंदर पहुंची तो देखा कि सनी की डेड बॉडी पड़ी हुई थी। कमरे में एसडीओपी के साथ ASI आरती वर्मा थी। जैसी वह कमरे के अंदर पहुंची तो आदिवासियों ने उन पर भी हमला कर दिया।
एसडीओपी और ASI ने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया अशोक कोल की बेटी ने घर के बाहर से अंदर कमरे में बंद एसडीओपी से कहा जिन लोगों को हिरासत में लिया है उन्हें छोड़ दो नहीं तो पूरे घर को आग लगा देंगे।
एसडीओपी अंकित शुल्या ने बताया कि वह करीब एक घंटा 10 मिनट तक इस कमरे में कैद रही इस दौरान खिड़की और दरवाजे से लगातार गालियां और जान से मारने की धमकियां दी जा रही थी
पुलिस पहुंचने से पहले ही खत्म हो चुका था सनी
एसडीओपी ने बताया कि जब वह कमरे में घुसी तो यह देखकर हैरान हो गई कि जिसको छुड़ाने के लिए आदिवासी कलेक्टर एसपी को बुलाने की मांग कर रहे थे वह कमरे में तो मृत पड़ा है। जिसके शव को देखकर लग रहा था कि वह दो से तीन घंटे पहले ही खत्म हो चुका था।
एसडीओपी के कमरे में बंद होने की जानकारी लगते ही पुलिस गांव के बाहर फायरिंग करते हुए घर तक पहुंची एसडीओपी को छुड़ाया फिर डेड बॉडी को लेकर जाने लगे इसी बीच आदिवासियों ने गांव की लाइट काट दी और महिला बच्चों सहित वहां मौजूद सभी पुरुषों ने एक साथ हमला कर दिया।
इस पूरी वारदात में तहसीलदार सहित 13 पुलिस जवान घायल हुए जिसमें ASI रामचरण गौतम को अपनी जान गंवानी पड़ी। इस मामले में ऐसा कहा जा रहा है कि पुलिस अपने उपकरणों के साथ अगर वहां पहुंचती तो शायद इतनी बड़ी घटना ना हो पाती उन्हें फायरिंग के आदेश भी देरी से दिए गए थे।