आज की ताजा खबर: CM मोहन यादव 28 मार्च को सिंगल क्लिक के जरिए 23 हजार लोगों के खाते ने डालेंगे 505 करोड़ रुपए
आज की ताजा खबर: संबल योजना के तहत 23 हजार 162 प्रकरणों में श्रमिक परिवारों को बाटे जाएंगे 505 करोड़ रूपये

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 28 मार्च को मंत्रालय में संबल योजना में अनुग्रह सहायता के 23 हजार 162 प्रकरणों में 505 (पांच सौ पांच) करोड़ रूपये सिंगल क्लिक के माध्यम से हितग्राहियों के बैंक खातों में डालेंगे। इस कार्यक्रम में श्रम, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल एवं प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में मंत्री एवं स्थानीय जन प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे।
सीएम जनकल्याण (संबल) योजना, असंगठित क्षेत्र में कार्य कर रहे लाखों श्रमिकों के लिए जरूरी स्कीम है। योजना में अनुग्रह सहायता योजना तहत दुघर्टना में मौत होने पर 4 लाख रूपये एवं प्राकृतिक मृत्यु होने पर 2 लाख रूपये दिए जाते हैं। स्थायी अपंगता पर 2 लाख रूपये एवं आंशिक स्थायी अपंगता पर 1 लाख रूपये तथा अंत्येष्टि सहायता के रूप में 5 हजार रूपये दिए जाते जाते हैं। संबल स्कीम में महिला श्रमिकों को प्रसूति सहायता के रूप में 16 हजार भी दिए जाते हैं, इसके साथ ही श्रमिकों के बच्चों को महाविद्यालय शिक्षा प्रोत्साहन योजना में उच्च शिक्षा के लिये सम्पूर्ण शिक्षण शुल्क राज्य सरकार द्वारा दिए जाते है।
नीति आयोग की पहल पर संबल योजना में प्रदेश के गिग एवं प्लेटफार्म श्रमिकों को भी शामिल कर उनका पंजीयन शुरू कर दिया गया है। उन्हें भी संबल योजना के सभी लाभ दिए जा रहे हैं। संबल हितग्राहियों को खाद्यान्न पात्रता पर्ची भी मिलती है। इससे उन्हें केंद्र एवं राज्य सरकार से रियायती दरों पर राशन मिल रहा है। संबल योजना में श्रमिक को जन्म से मृत्यु तक आर्थिक सहायता मिलती है, सही मायने में यह श्रमिकों का संबल है।
प्रदेश की यह योजना देश के सभी राज्यों के लिए अनुकरणीय है। सभी संबल हितग्राहियों को आयुष्मान भारत निरामय योजना में पात्रता श्रेणी में चिन्हित किया गया है, अब उन्हें प्रतिवर्ष 5 लाख रुपए की निशुल्क चिकित्सा सहायता भी दी जा रही है। 1 अप्रैल 2018 को योजना प्रारंभ होने के बाद से राज्य सरकार ने संबल योजना में 1 करोड़ 74 लाख श्रमिकों को पंजीकृत किया है। श्रमिकों के पंजीयन की प्रक्रिया जारी है। श्रम विभाग की योजना में अब तक 1 करोड़ 74 लाख से अधिक राशि का लाभ दिया जा चुका है। 06 लाख 58 हजार से अधिक मामलों में 5,927 करोड़ रुपये की धनराशि दी जा चुकी है।