मध्य प्रदेश के लाखों अधिकारी कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर, पदोन्नति पर लगी रोक हुई बहाल, जानिए पूरा अपडेट
विभिन्न स्तरों पर हुई वार्ता सीएम ने कहा कि अब सरकार ने विभिन्न स्तरों पर हुई चर्चा के बाद समस्या का समाधान खोज लिया है। उन्होंने कहा कि मंत्रियों, डिप्टी सीएम और सभी वर्गों के साथ मिलकर हमने पदोन्नति का रास्ता खोज लिया है। धीरे-धीरे हम पदोन्नति के करीब पहुंच रहे हैं। जल्द ही हम पदोन्नति के लिए कैबिनेट की मंजूरी प्राप्त करेंगे और पदोन्नति पर काम करेंगे।

9 साल तक पदोन्नति पर रोक मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 के पदोन्नति में आरक्षण के प्रावधान को समाप्त कर दिया था।
शिवराज सिंह चौहान सरकार ने 12 मई 2016 को हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, तभी से मध्य प्रदेश में पदोन्नति पर रोक लग गई थी। अब कर्मचारी संघ ने सीएम का आभार जताया है। सीएम डॉ. मोहन यादव द्वारा पदोन्नति के संबंध में की गई घोषणा के बाद मंत्रालयिक कर्मचारी संघ और लघु लेखक संघ के पदाधिकारियों का प्रतिनिधिमंडल शाम को उनसे मिला। उन्होंने सीएम का आभार जताया। उन्होंने कहा कि 9 साल बाद यह बड़ा फैसला हो रहा है जो कर्मचारी वर्ग के हित में होगा। सीएम ने कहा कि प्रदेश के विकास में शासकीय सेवकों का महत्वपूर्ण योगदान है। सरकार द्वारा समय-समय पर शासकीय सेवकों के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा रहे हैं। हर माह 3000 कर्मचारी रिटायर होते हैं पदोन्नति पर रोक लगे 8 साल 11 महीने 8 दिन हो चुके हैं। इस दौरान 1 लाख 50 हजार से ज्यादा कर्मचारी रिटायर हुए हैं, जिनमें से करीब 1 लाख कर्मचारियों को इन 8 साल 11 महीने में पदोन्नति मिलनी थी। प्रदेश में हर माह करीब 3000 कर्मचारी रिटायर होते हैं। समिति बनी लेकिन नहीं निकला समाधान 2018 का चुनाव हारने के बाद 2020 में दोबारा सत्ता में आई शिवराज सरकार ने पदोन्नति का समाधान निकालने की रणनीति बनाई थी। इसके लिए उप मंत्रिपरिषद समिति बनाई गई थी। जिसने सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से केस लड़ रहे अधिवक्ताओं से विचार-विमर्श कर पदोन्नति के नए नियम बनाए थे, जिसे अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों ने स्वीकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि समिति ने पुराने नियमों को ही नए रूप में परोसा। कोर्ट के आदेश पर मिली पदोन्नति प्रदेश में पदोन्नति पर रोक के बावजूद विभिन्न विभागों के 500 से अधिक कर्मचारियों को पदोन्नति मिल गई है। दरअसल, इस रोक के खिलाफ सबसे पहले स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी धीरेंद्र चतुर्वेदी हाईकोर्ट गए थे। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने शासन को पदोन्नति के आदेश दिए और चतुर्वेदी को पदोन्नत कर दिया गया।
मप्र में अगले साल 5% कर्मचारी होंगे रिटायर
मप्र में प्रथम श्रेणी से चतुर्थ श्रेणी तक के कुल कर्मचारियों की संख्या 6 लाख 6 हजार 876 है। इनमें से प्रथम श्रेणी अधिकारियों की संख्या 8 हजार 286, द्वितीय श्रेणी अधिकारियों की संख्या 40 हजार 20 और श्री श्रेणी कर्मचारियों की संख्या 5 लाख 48 है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की संख्या 58 हजार 522 है। इन चारों श्रेणियों में 31 मार्च 2024 तक 60 वर्ष से अधिक आयु के कर्मचारियों की संख्या 27 हजार 921 है, यानी 2026 में ये सभी 62 वर्ष की सेवानिवृत्ति आयु तक पहुंच जाएंगे। यह आंकड़ा कुल कर्मचारियों का 5 प्रतिशत है।