MP News: मध्य प्रदेश में 35 प्राइवेट स्कूलों के शिक्षक हो गए सरकारी, फर्जीवाड़ा कर कई सालों से ले रहे वेतन शिक्षा विभाग का खुलासा, सीधी कि प्राइवेट स्कूल शामिल
MP News today: विभाग में निजी स्कूलों के शिक्षकों को साल 2002 से सैलरी के साथ उन विद्यालयों को विकास के लिए फंड भी दे रही है ऐसा आरोप है कि ऐसे 35 स्कूलों को लाभ मिल रहा है
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मध्य प्रदेश में हमेशा सुर्खियों में रहने वाले स्कूल शिक्षा विभाग का एक बड़ा फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है. विभाग में निजी स्कूलों के शिक्षकों को साल 2002 से सैलरी के साथ उन विद्यालयों को विकास के लिए फंड भी दे रही है ऐसा आरोप है कि ऐसे 35 स्कूलों को लाभ मिल रहा है
इसमें सबसे खास बात यह है कि इस पूरे मामले को लेकर कई बार शिकायतें भी हो चुकी है. निवाड़ी के जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा पिछले वर्ष सरकारी सैलरी पाने वाले शिक्षकों से रिकवरी करने की सिफारिश की गई थी. यह जांच रिपोर्ट राजधानी भोपाल के लोक शिक्षण संचनालय को भेजी गई थी. विभाग ने वेतन रोक कर रिकवरी की कार्रवाई शुरू की लेकिन कोई मामला दर्ज नहीं हुआ।
दैनिक भास्कर ने ऐसे ही प्राइवेट विद्यालयों की पड़ताल की तो खुलासा हुआ कि उनके टीचरों को न केवल सैलरी दी जा रही है. बल्कि वह प्रमोशन और बकाया सैलरी एरियर के रूप में भी सरकार से लाभ ले चुके हैं. इसमें सवाल खड़ा होता है कि आखिर यह कैसे फर्जीवाड़ा हुआ जिसमें स्कूल शिक्षा विभाग के कौन-कौन अधिकारी दोषी हैं स्कूल शिक्षा विभाग ने इस मामले में एक्शन क्यों नहीं लिया
साल 2002 का यह है आदेश जहां से शुरू हुई कहानी
21 मार्च 2002 को प्रदेश सरकार ने 54 प्राइवेट स्कूलों को उनके स्थानीय निकायों के अधीन करने का एक आदेश जारी किया था।
इस आदेश में लिखा था कि 54 प्राइवेट स्कूलों को जिलों की संबंधित जिला पंचायत और नगरीय निकायों के अधीन किया जाता है।
इन स्कूलों में काम करने वाले प्राचार्य और शिक्षकों की नियुक्ति संविदा शाला शिक्षकों के पद पर की जाएगी। यानी उन्हें कलेक्टर रेट पर वेतन मिलेगा।
तीन अधिकारी मिलकर स्कूल को सरकारी घोषित किया – MP News
निवाड़ी के जिला शिक्षा अधिकारी उनमें से श्रीवास्तव ने मीडिया को बताया कि निकाय के अधीन होने के बाद विद्यालय सरकारी नहीं हुआ था. मगर स्कूल ने खुद को सरकारी बताना शुरू किया दस्तावेजों में भी स्कूल सरकारी लिखने लगा इसके बाद हमारे ही विभाग के कुछ अधिकारियों के साठ गांठ से एक आदेश जारी हुआ
जिसमें स्कूल को सरकारी बताते हुए इसके शिक्षकों को सैलरी सरकारी को साल से देने के आदेश हो गए. जब स्कूल के शिक्षकों को सरकार पेमेंट देने लगी तो स्कूल के संचालक ने 2002 से उन्हें एरियर भी दिलवा दिया वह बताते हैं कि कई शिक्षकों को 10 से 15 लाख रुपए तक का एरिया दिया जा चुका है।
साल 2017 का स्क्रीनिंग कमेटी का आदेश
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ऐसे हुआ फर्जीवाड़ा का खुलासा
इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब नैगुवां के हायर सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल राजेंद्र पाठक को 31 मार्च 2023 को निवाड़ी जिले का DEO बनाने के निर्देश जारी हुए इस आदेश के बाद एक गोपनीय शिकायत हुई. जिसमें लिखा गया था कि पाठक तो जिला पंचायत के अधीन आने वाले स्कूल के प्रिंसिपल हैं और वह स्कूल शिक्षा विभाग के कर्मचारी भी नहीं है।
विभाग में जांच की तब सही पाया 3 अप्रैल 2023 को स्कूल शिक्षा विभाग के उप सचिव ओएल मंडलोई के द्वारा एक आदेश जारी किया कि पाठक जिला पंचायत के कर्मचारी हैं ना की स्कूल शिक्षा विभाग के उन्हें DEO का प्रभार नहीं दिया जा सकता है।
इसके बाद पाठक को उस पद से हटाकर शासकीय मॉडल स्कूल ,पृथ्वीपुर के प्राचार्य को DEO का प्रभाव सोपा गया इस आदेश के सामने आने के बाद पाठक सहित उनके स्कूल के 56 शिक्षकों के सरकारी सैलरी एरिया और प्रमोशन समेत सातवां वेतन लेने की प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे।
इस फर्जी वाले में दतिया और सीधी की स्कूल भी शामिल
सीधी का गुरुकुल गर्ल हाईयर सेकंडरी स्कूल भी साल 2002 से पहले प्राइवेट था इसे भी जिला पंचायत के अधीन किया गया लेकिन इस स्कूल के शिक्षकों का वेतन भी स्कूल शिक्षा विभाग दे रहा है. जब मीडिया ने पड़ताल की तब स्कूल के प्रिंसिपल हनुमान प्रसाद मिश्र ने कहा उन्हें यह सरकारी स्कूल है स्कूल के टीचर का वेतन भी स्कूल शिक्षा विभाग से मिलता है।
जबकि साल 2002 के आदेश में साफ दर्शाया गया था कि जिला पंचायत के अधीन स्कूलों के शिक्षकों का वेतन देने की जिम्मेदारी पंचायत विभाग की होगी