जिला अध्यक्षों के बाद जल्द MP बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की हो सकती है घोषणा,इन नामों पर चर्चा तेज देखें लिस्ट..?
MP Politice: मध्य प्रदेश में बीजेपी का अगला प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा? यह सवाल पिछले कई महीनों से प्रदेश के सियासी गलियारों में पूछा जा रहा है। जितनी बार यह सवाल पूछा जा रहा है, दावेदारों की लिस्ट उतनी ही लंबी होती जा रही है। बीजेपी के अंदरुनी गुटों की मानें तो बस कुछ दिन …

MP Politice: मध्य प्रदेश में बीजेपी का अगला प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा? यह सवाल पिछले कई महीनों से प्रदेश के सियासी गलियारों में पूछा जा रहा है। जितनी बार यह सवाल पूछा जा रहा है, दावेदारों की लिस्ट उतनी ही लंबी होती जा रही है।
बीजेपी के अंदरुनी गुटों की मानें तो बस कुछ दिन और और फिर इस सवाल का जवाब मिल जाएगा और इंतजार भी खत्म हो जाएगा। आइए जानते हैं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की रेस में कौन-कौन बड़े चेहरे हैं।किसका दावा सबसे मजबूत है।
वीडी शर्मा
अगर मौजूदा अध्यक्ष बीजेपी फिर से सामान्य या ब्राह्मण वर्ग पर दांव लगाती है तो वीडी शर्मा को एक और मौका मिल सकता है। हालांकि वीडी शर्मा का कार्यकाल काफी लंबा बढ़ा है, लेकिन फिर भी गुटों के अंदर चर्चा है कि उनका कार्यकाल एक बार फिर बढ़ाया जा सकता है। ऐसे कयास इसलिए भी लगाए जा रहे हैं क्योंकि उनका अब तक का रिकॉर्ड काफी अच्छा रहा है।
सुमेर सिंह सोलंकी का नाम भी शामिल
आदिवासी समुदाय में उनकी अच्छी खासी तादाद है। संघ में उनकी पकड़ और नजदीकी के चलते वे एमपी बीजेपी की कमान संभाल सकते हैं। इसके अलावा उनकी गिनती बेदाग छवि वाले नेताओं में भी होती है। सोलंकी लाइमलाइट से दूर रहते हैं और जमीन पर काम करने वाले नेता माने जाते हैं। ऐसे में वे इस लिस्ट में सबसे ऊपर हैं।
अरविंद सिंह भदौरिया
अरविंद सिंह भदौरिया का नाम भी इस लिस्ट में आता है। क्षत्रिय समाज से आने वाले पूर्व मंत्री भदौरिया चंबल का बड़ा नाम हैं। संगठन में काम करने का उन्हें लंबा अनुभव है।
वे प्रदेश भाजपा के महामंत्री भी रह चुके हैं। अरविंद सिंह भदौरिया अजय जामवाल और शिव प्रकाश की पसंद भी हैं। इस लिहाज से उनका पलड़ा भारी है।
अगर मौजूदा जातिगत समीकरण की बात करें तो मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव पिछड़ा वर्ग से हैं। डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ब्राह्मण वर्ग से आते हैं, जबकि डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा एससी हैं।
मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ब्राह्मण वर्ग से आते हैं। अब इसी आधार पर नया प्रदेश अध्यक्ष तय होगा, जिसमें इस जातिगत समीकरण को भी ध्यान में रखा जाएगा। इससे यह और भी मजबूत होगा।