Madhya Pradesh News: MP के 5 लाख कर्मचारियों को लगा बड़ा झटका, वेतन वृद्धि पर क्यों फिर गया पानी जानिए क्या? है वजह
Madhya Pradesh News: Madhya Pradesh के 5 लाख कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर है, उनकी वेतन विसंगति दूर होने और वेतन बढ़ने की उम्मीदों को झटका लगा है। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या सरकार इन कर्मचारियों का वेतन नहीं बढ़ाना चाहती दरअसल, सरकार ने कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर करने के लिए …

Madhya Pradesh News: Madhya Pradesh के 5 लाख कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर है, उनकी वेतन विसंगति दूर होने और वेतन बढ़ने की उम्मीदों को झटका लगा है। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या सरकार इन कर्मचारियों का वेतन नहीं बढ़ाना चाहती दरअसल, सरकार ने कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर करने के लिए कर्मचारी आयोग का गठन किया था।
Madhya Pradesh आयोग ने रिपोर्ट दे दी है लेकिन अब सरकार इस आयोग का कार्यकाल 1 साल और बढ़ा दिया है, यानी इस आयोग का कार्यकाल 12 दिसंबर 2024 तक रहेगा ऐसा पहली बार हुआ है जो विधानसभा रिपोर्ट स्वीकार करने के बाद भी किसी आयोग का कार्यकाल बढ़ाया गया है।
Madhya Pradesh के अब कर्मचारी संगठन आरोप लगा रहे हैं, कि सरकार मनचाही रिपोर्ट तैयार करना चाहती है इसलिए इस आयोग का कार्यकाल बढ़ाया गया है। गौतम है किया पहला मौका है जब किसी कर्मचारी आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप है और उसका कार्यकाल बढ़ाया गया है।

Madhya Pradesh के पूर्व सीएम शिवराज ने 2020 में किया था गठन
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2020 में जेपी सिंहल आयोग का गठन किया था। सिंघल प्रदेश के पूर्व वित्त सचिव रहे हैं, इस मामले को लेकर राज्य के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने भी कहा था कि सिंघल आयोग की रिपोर्ट मिल गई है, पहले हम इसका परीक्षण करेंगे,उसके बाद इसे लागू कर दिया जाएगा।
Madhya Pradesh के कर्मचारियों को इतना होता फायदा
प्राप्त जानकारी के अनुसार Madhya Pradesh की लाखों कर्मचारी 36 साल से मन कर रहे थे कि उनका वेतन विसंगत दूर किया जाए, भोपाल के प्रकाशित अखबार दैनिक भास्कर के मुताबिक सरकार ने इस मांग को मंजूर कर लिया था, सरकार किसी फैसले से 5 लाख कर्मचारी लाभान्वित होने वाले थे।
अगर आयोग की सिफारिश लागू होती तो उन्हें सालाना 12 हजार से लेकर 60 हजार रुपये तक फायदा होता जानकारी के मुताबिक, मध्य प्रदेश में स्टेनोग्राफर के योग्यता और भर्ती नियम एक ही हैं लेकिन, जो स्टेनोग्राफर मंत्रालय में पदस्थ हैं उन्हें साल 1996 से ज्यादा वेतन दिया जा रहा है।
भोपाल से प्रकाशित अखबार दैनिक भास्कर के मुताबिक तृतीय श्रेणी के बाबू और चतुर्थ श्रेणी के भृत्य वेतन विसंगति से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, प्रदेश में इन कर्मचारियों की संख्या सवा लाख है इसके अलावा 50 से ज्यादा विभागों के लिपिक और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के बीच वेतन विसंगति है।

कई सालों से चली आ रही विसंगतियां
वेतन विसंगतियों से प्रभावित होने वाला सबसे बड़ा वर्ग तृतीय श्रेणी में बाबू और चतुर्थ श्रेणी में भृत्य है, इनकी संख्या 1.25 लाख के आसपास है, 2 वर्ग ऐसे हैं, जिनकी योग्यता, चयन प्रक्रिया और काम एक जैसा है, लेकिन वेतनमान अलग अलग हैं इसमें सहायक ग्रेड-3 और डेटा एंट्री ऑपरेटर शामिल हैं।
लिपिकों के वेतन की विसंगति 30 साल से चली आ रही है पहले तृतीय श्रेणी में लिपिकों का वेतन सबसे ज्यादा हुआ करता था, लेकिन, धीरे-धीरे नीचे वाले सभी संवर्गों के वेतन बढ़ते गए और उनके पदनाम भी बदल गए।
जो सिफारिशें आएंगी उन पर होगा विचार
वित्त विभाग के प्रमुख सचिव मनीष सिंह का कहना है कि कर्मचारी आयोग का कार्यकाल को बढ़ाया गया है, जो सिफर से आएंगे उनका परीक्षण किया जाएगा। इधर, मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ अध्यक्ष इंजीनियर सुधीर नायक ने कहा कि पिछली रिपोर्ट में जो विसंगतियां छूटी हैं, उन पर भी विचार होना चाहिए।

आयोग 6 महीने में दोबारा संशोधित रिपोर्ट जारी करेगा
कर्मचारियों की वेतन विसंगति को दूर करने के लिए जीपी सिंघल की अध्यक्षता में गठित आयोग की रिपोर्ट सौंपे जाने की खबर दैनिक भास्कर में 12 जुलाई को प्रकाशित की गई थी। इसके बाद कर्मचारियों ने रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की थी।
वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने भी इसकी पुष्टि की थी कि रिपोर्ट मिल गई है। अब नए प्रस्ताव के अनुसार आयोग छह महीने में दोबारा संशोधित रिपोर्ट जारी करेगा। उसी के अनुसार वेतन निर्धारण होगा।