ट्रक ड्राइवर से कथावाचक तक का सफर, मध्य प्रदेश के इस जिले से गहरा नाता, जानिए अनिरुद्ध तिवारी कैसे बने महराज
अनिरुद्धाचार्य एक कथावाचक और आध्यात्मिक गुरु हैं। वे गौरी गोपाल आश्रम के संस्थापक भी हैं, जिसमें एक वृद्धाश्रम, एक गौशाला है और यह जरूरतमंदों को शिक्षा प्रदान करता है। अपनी लोकप्रियता के कारण, वे लाफ्टर शेफ़्स - अनलिमिटेड एंटरटेनमेंट में अतिथि के रूप में दिखाई दिए। बाद में, अनिरुद्धाचार्य को बिग बॉस 18 में भाग …

अनिरुद्धाचार्य एक कथावाचक और आध्यात्मिक गुरु हैं। वे गौरी गोपाल आश्रम के संस्थापक भी हैं, जिसमें एक वृद्धाश्रम, एक गौशाला है और यह जरूरतमंदों को शिक्षा प्रदान करता है।
अपनी लोकप्रियता के कारण, वे लाफ्टर शेफ़्स - अनलिमिटेड एंटरटेनमेंट में अतिथि के रूप में दिखाई दिए। बाद में, अनिरुद्धाचार्य को बिग बॉस 18 में भाग लेने की पेशकश की गई, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया कि यह शो उनकी "संस्कृति और मूल्यों" से मेल नहीं खाता. हालांकि, वे शो के भव्य प्रीमियर के दौरान अतिथि के रूप में दिखाई दिए। इनका प्रारंभिक जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। ट्रक ड्राइवर से आज तक का सफर काफी दिलचस्प है।
उनका जन्म स्थान मध्य प्रदेश 27 सितंबर 1989 में हुआ। उनके पिया राम नरेश तिवारी और माता छाया बाई है अनिरुद्धाचार्य के 2 बच्चे है। वह गरीब ब्राह्मण परिवार से आते है।
MP के रहने वाले है स्वामी अनिरुद्धाचार्य
इंटरनेट की सुर्खियों में बने रहने वाले अनिरुद्धाचार्य के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। ज्यादातर लोगों को यह जानकारी है कि वह वृंदावन के मूल निवासी हैं ,लेकिन अनिरुद्धाचार्य खुद बताते हैं कि वह मध्य प्रदेश के जबलपुर के रिमझा गांव के रहने वाले है। उनका जीवन यहीं से शुरू हुआ। पढ़ाई लिखाई से लेकर उन्होंने बाल्य जीवन यही बिताई इसके बाद वह रोजी - रोटी के लिए संघर्ष करने लगे और आज उन्होंने एक छोटे से गांव से निकल कर पूरे विश्व में अलग पहचान बनाई है।
ट्रक ड्राइवर से शुरू हुआ जीवन
अनिरुद्धाचार्य का नाम अनिरुद्ध तिवारी जो MP के रहने वाले है। उन्होंने शुभंकर मिश्रा के पॉडकास्ट में अपने प्रारंभिक जीवन के बारे में विस्तृत जानकारी दी उन्होंने बताया कि वह शुरू में ट्रक में ड्राइविंग का काम करते थे। उनका जीवन बहुत संघर्षपूर्ण रहा रोजी-रोटी के लिए उन्होंने अनेकों कार्य किया, लेकिन प्रभु की ऐसी कृपा हुई कि वह दास बन गए, उन्होंने बताया कि मैं भरोसा किया और आज मैं एक अलग स्थान में हूं।
ट्रक ड्राइवर से कैसे बने कथावाचक
अनिरुद्धाचार्य गरीब ब्राह्मण परिवार से आते हैं। गरीबी होने के कारण उनकी शिक्षा में उन्नति कम नजर आई भाई बहनों में जिम्मेदार अनिरुद्धाचार्य बचपन से ही पूजा - पाठ की तरफ रुझान रहा। वह बोलते अच्छा थे। यही वजह थी कि उन्हें लोग कथा के लिए बुलाते थे। धीरे - धीरे अनिरुद्धाचार्य को बड़े कार्यक्रम में आमंत्रित किया जाने लगा धीरे-धीरे वह हर जिलों में जाकर कथा सुनाने लगे उसके बाद वह अपने गुरु संत गिरीराज शास्त्री जी महाराज के सानिध्य में गए और बाद उन्होंने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।
वृंदावन में गौरी गोपाल आश्रम के संस्थापक
अनिरुद्धाचार्य ने यूट्यूब पर दी जानकारी के मुताबिक जो लोग अपने वृद्ध माता-पिता को छोड़ देते है। या उन वृद्ध माता-पिता का कोई नहीं होता। ऐसे लोगों के लिए अनिरुद्धाचार्य ने वृंदावन में गौरी गोपाल आश्रम की स्थापना की, उन्होंने बताया कि माता-पिता को असहाय लोग छोड़ देते हैं जिससे मुझे दुख होता है। इसीलिए मैंने ऐसे आश्रम की स्थापना की जो वृद्ध माता-पिता को निशुल्क सुविधा प्रदान करें
इन वजहों से अनिरुद्धचार्य को मिली और पहचान
अनिरुद्धाचार्य अपने बयानों के कारण विवादों में रहे हैं। उनके बयानों पर आधारित कई मीम्स सोशल मीडिया पर बनाए गए हैं। अनिरुद्धाचार्य रोज़मर्रा की ज़िंदगी, ख़ासकर खाने-पीने की चीज़ों पर अपनी हास्य टिप्पणियों के ज़रिए इंटरनेट मीम सनसनी बन गए। बिस्किट को "विस-की-किट" (ज़हर का पैकेट) कहना या पिज़्ज़ा चीज़ ग्लू कहना जैसे मीम्स वायरल हो गए हैं, जिससे उनकी ऑनलाइन लोकप्रियता और भी बढ़ गई है।
भारतीय दर्शकों ने उनके भाषण सत्रों में महिलाओं का अपमान करने के लिए उनकी आलोचना की है, जिसमें उन्होंने कहा था कि महिलाओं को अपनी पीठ के बल नहीं सोना चाहिए क्योंकि इससे उनके स्तन अशुद्ध हो जाएँगे। आलोचना से निपटने का उनका तरीका भी उनकी लोकप्रियता में योगदान देता है। नकारात्मक प्रतिक्रिया देने के बजाय, वे अपमान का मज़ाकिया जवाब देते हुए हास्य के साथ तनाव को कम करते हैं, जिससे उनके अनुयायी उन्हें और भी ज़्यादा पसंद करते हैं।