मध्य प्रदेश

हाइकोर्ट जज विवेक अग्रवाल ने लगाई सिंगरौली कलेक्टर को फटकार,जानिए आखिर क्या था पूरा मामला!

High Court Judge Vivek Aggarwal reprimanded Singrauli Collector, know what was the whole matter!

Singrauli Collctar judge Vivek Agrwal: जबलपुर हाईकोर्ट के जज विवेक अग्रवाल ने एक बार फिर एक कलेक्टर को कानून का पाठ पढ़ाया है। यह कलेक्टर सिंगरौली के हैं। इनका नाम चंद्रशेखर शुक्ला है। जज साहब ने भू-अर्जन और मुआवजे में व्यापक भ्रष्टाचार का जिक्र करते हुए कड़ी टिप्पणी की और पूछा कि बिना जमीन बेचे और म्यूटेशन कराए किसी तीसरे व्यक्ति को मुआवजा कैसे दे दिया गया।

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मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जज विवेक अग्रवाल ने कहा कि आप कानून बताइए, यह सब मामला मुझ पर छोड़ दीजिए। अगर मैं आपकी सहमति से आपके प्लॉट पर मकान बना लूं तो क्या मैं उस जमीन का मालिक हो जाऊंगा? आपको अपनी गलती शालीनता से स्वीकार करनी चाहिए थी।

कलेक्टर साहब कि हमने भ्रष्टाचार किया है और गलत व्यक्ति को पैसा दिया है। आप सरकार हैं, कुछ भी कर सकते हैं। बस इतना बताइए कि अगर कोई तीसरा व्यक्ति बिना म्यूटेशन के किसी की जमीन पर मकान बना ले तो क्या आप उसका मुआवजा देंगे? ऐसे कई मामले हुए हैं तो उनकी जांच करा लीजिए।

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इस मामले में भूमि अधिग्रहण अधिकारी और कलेक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। सिंगरौली में खुलेआम भ्रष्टाचार हो रहा है। कानून बहुत साफ है। अगर आपके कलेक्टर को कानून की समझ नहीं है तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी।

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याचिकाकर्ता चित्रा सेन द्विवेदी के वकील के अनुसार हाईकोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता को मुआवजा देने का आदेश दिया है और अगली सुनवाई की तारीख 28 फरवरी तय की है। मामला सिंगरौली जिले का भूमि अधिग्रहण का मामला था जिसमें भूमि अधिग्रहण किया गया था और चित्रा सेन द्विवेदी नामक व्यक्ति जिसकी हसरा में इतनी जमीन थी।

उसे मिलनी चाहिए थी लेकिन भूमि मुआवजा अधिकारी ने उसे मुआवजा देने के बजाय डेविड से पैसे लेकर किसी तीसरे व्यक्ति को 18 लाख रुपए का मुआवजा दे दिया। इससे वह व्यथित हो गया और हाईकोर्ट की शरण ली।

हाईकोर्ट की माननीय अदालत में मामले की सुनवाई हुई और कलेक्टर को हलफनामा दाखिल कर यह बताने का निर्देश दिया गया कि किस आधार पर अवार्ड आमंत्रित किया गया। इसलिए कल इसकी सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान पाया गया कि आवंटन गलत तरीके से किया गया है।

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इसलिए माननीय कोर्ट ने आदेश दिया है कि जिस व्यक्ति को अवार्ड दिया गया है उससे पैसे वसूले जाएं और जो हकदार है उसे मुआवजा दिया जाए। दरअसल यह पूरा मामला सिंगरौली का है। ललितपुर रेलवे लाइन परियोजना के मुआवजे से जुड़ा हुआ है।

मुआवजा वितरण में धांधली के आरोप लगे हैं। इस पूरे मामले में शिव गांव निवासी चित्रसेन नाम के व्यक्ति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि उसकी जमीन पर बने मकान का ₹1 लाख का मुआवजा किसी तीसरे व्यक्ति के खाते में दे दिया गया है। फिलहाल कोर्ट ने साफ तौर पर कहा

है कि जिस व्यक्ति को मुआवजा दिया गया है, उससे मुआवजा वसूला जाए और मुआवजा पात्र व्यक्ति को दिया जाए। फिलहाल जज विवेक अग्रवाल का यह आदेश अब पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है।

अमर मिश्रा

मेरा नाम अमर मिश्रा है और मैं मध्यप्रदेश के रीवा जिले का निवासी हूं। मैंने अपनी स्नातक की पढ़ाई B.Com / CA अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय (APSU) से पूरी की है। मुझे मीडिया जगत में काम करते हुए  लगभग 9 साल से ज्यादा का अनुभव है।मैंने 2016 में रीवा जिले में पत्रकारिता की शुरुआत की थी और FAST INDIA NEWS से अपने कैरियर की शुरुआत की। इसके बाद, 2017-18 में मैंने मध्यप्रदेश जनसंदेश और आंखों देखी लाइव में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं। 2019 में, मैंने अमरकीर्ति समाचार पत्र में रीवा ब्यूरो प्रमुख के रूप में कार्य किया। 2019-20 से, मैं HARIT PRAWAH समाचार पत्र का सम्पादक हूँ।अपने पत्रकारिता करियर के दौरान, मुझे सटीक और निष्पक्ष समाचार प्रस्तुत करने के लिए कई बार सम्मानित किया गया है। मेरी कोशिश हमेशा यही रही है कि मैं अपने पाठकों को सच्ची और प्रामाणिक खबरें प्रदान करूं।पत्रकारिता के क्षेत्र में मेरी यह यात्रा निरंतर जारी है और मुझे विश्वास है कि भविष्य में भी मैं अपने पाठकों के लिए विश्वसनीय और सटीक समाचार प्रदान करता रहूंगा।संपादक - अमर मिश्रा

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