Dussehra 2024: मध्यप्रदेश जबलपुर के पाटन क्षेत्र के रहने बाले संतोष नामदेव, जिन्हें लोग ‘लंकेश’ के नाम से जानते हैं, वह पिछले 49 वर्षों से दशानन रावण की मूर्ति स्थापित कर पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं।
जहां नवरात्रि के अवसर पर पूरा देश देवी की भक्ति में डूबा होता है तो वहीं संतोष दशानन रावण की प्रतिमा स्थापित कर उसकी आराधना करते हैं।
यह परंपरा उन्होंने 1975 में शुरू की और तब से हर साल नवरात्रि की पंचमी को रावण की प्रतिमा स्थापित करते हैं और दशहरे पर इसका विसर्जन करते हैं, उनके इस अनोखे धार्मिक अभ्यास ने उन्हें एक अलग पहचान दी है।
जो समाज की मुख्यधारा से बिल्कुल भिन्न है। संतोष का मानना है कि जो कुछ भी उन्होंने अपने जीवन में हासिल किया है, वह रावण की भक्ति का ही परिणाम है, उनके परिवार और आस-पास के लोग भी इस परंपरा में शामिल होते हैं और हर साल धूमधाम से रावण की शोभायात्रा निकालते हैं।
समाज में भले ही रावण की बुराइयों को अधिक महत्व दिया जाता हो, लेकिन संतोष रावण की अच्छाइयों को अपना आदर्श मानते हैं और इन्हीं गुणों को अपनी जीवन यात्रा का आधार बना चुके हैं. लंकेश की इस अनोखी भक्ति ने उन्हें पूरे महाकौशल क्षेत्र में चर्चित बना दिया है।जहां अधिकांश लोग भगवान राम की पूजा करते हैं तो वहीं संतोष रावण की पूजा कर एक अलग पहचान स्थापित कर चुके हैं।
पेशे से टेलर हैं संतोष नामदेव
संतोष नामदेव पेशे से टेलर हैं, जिन्हें लोग लंकेश के नाम से जानते हैं, संतोष कहते हैं कि रावण में कोई बुराई नहीं थी, न ही रावण ने किसी भी नशे का सेवन किया. इसलिए संतोष ने अपने आराध्य से प्रेरित होकर यह प्रण लिया कि वह शराब पीने वालों के कपड़े नहीं सिलेंगे।
दुकान में आने वाले हर ग्राहक से पहले वह पूछताछ करते हैं इसके बाद उनके कपड़े सिलते हैं,संतोष बताते हैं कि वह अयोध्या में स्थित राम मंदिर के अंदर अभी तक नहीं गए जब भी अयोध्या जाते हैं तो सरयू नदी में स्नान करके वापस लौट आते हैं, लेकिन अंदर नहीं जाते।
रामलीला में निभाया था रावण का किरदार
संतोष की रावण भक्ति के पीछे एक दिलचस्प कहानी है. वे बचपन में रामलीला में रावण की सेना में सैनिक का किरदार निभाते थे, बाद में उन्हें रावण की भूमिका निभाने का मौका मिला और वे इस भूमिका से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने रावण को अपना गुरु और ईष्ट मान लिया।
तब से वे रावण की पूजा कर रहे हैं। संतोष को लोग लंकेश के नाम से भी बुलाते हैं, संतोष के बेटे भी इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं, उनके दोनों बेटों के नाम मेघनाद और अक्षय हैं, जो रावण के पुत्रों के नाम पर रखे गए हैं। वहीं अक्षय और मेघनाथ के पुत्रों के नाम भी रावण के पोतों के नाम पर रखे गए हैं।
मेरा नाम अमर मिश्रा है और मैं मध्यप्रदेश के रीवा जिले का निवासी हूं। मैंने अपनी स्नातक की पढ़ाई B.Com / CA अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय (APSU) से पूरी की है। मुझे मीडिया जगत में काम करते हुए लगभग 9 साल से ज्यादा का अनुभव है।मैंने 2016 में रीवा जिले में पत्रकारिता की शुरुआत की थी और FAST INDIA NEWS से अपने कैरियर की शुरुआत की। इसके बाद, 2017-18 में मैंने मध्यप्रदेश जनसंदेश और आंखों देखी लाइव में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं। 2019 में, मैंने अमरकीर्ति समाचार पत्र में रीवा ब्यूरो प्रमुख के रूप में कार्य किया। 2019-20 से, मैं HARIT PRAWAH समाचार पत्र का सम्पादक हूँ।अपने पत्रकारिता करियर के दौरान, मुझे सटीक और निष्पक्ष समाचार प्रस्तुत करने के लिए कई बार सम्मानित किया गया है। मेरी कोशिश हमेशा यही रही है कि मैं अपने पाठकों को सच्ची और प्रामाणिक खबरें प्रदान करूं।पत्रकारिता के क्षेत्र में मेरी यह यात्रा निरंतर जारी है और मुझे विश्वास है कि भविष्य में भी मैं अपने पाठकों के लिए विश्वसनीय और सटीक समाचार प्रदान करता रहूंगा।
संपादक – अमर मिश्रा