Dhirendra krishan shastri: धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री सिर्फ राजनीति के मोहरे बन चुके है, धर्म ध्वजाधारी शंकराचार्य ने किया बड़ा खुलासा
Dhirendra krishan shastri: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के द्वारा हाल ही में हिंदू पदयात्रा धाम से ओरछा एवं कई स्थानों तक निकल जा रही है इस यात्रा में लाखों हिंदू शामिल होकर यात्रा को सफल बना रहे हैं लेकिन इसी बीच शंकराचार्य ने बड़ा बयान दे दिया है उन्होंने कह दिया है कि यह यात्रा हिंदू एकता की नहीं बल्कि उद्योग की है इससे किसी और को फायदा हो रहा है।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरनंद ने कहा धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने सनातन यात्रा पदयात्रा की शुरुआत की सबको साथ देने का आह्वान करके और ये राजनीति है, देखिए यहां पर कहा जा रहा है कि बांटोगे तो काटो तो काटो मतलब जातियों में मत बांटो, ठीक है तो जातियों में मत बांटो, हिंदू लोग एकमत होकर हमें वोट दें, ये यहां के नेता की भावना है, उस भावना को जनता तक पहुंचाने के लिए धीरेंद्र शास्त्री को मोहरा बनाया गया, इसीलिए जो सनातन यात्रा कर रहे हैं, वो कौन सा नारा लगा रहे हैं, वो नारा लगा रहे हैं, जाति को अलविदा कहो और हिंदू हिंदू भाई-भाई,
इसलिए जातिवाद को मारो, इसका मतलब जातिवाद में बांट रहे हो, यही वो कह रहे हैं, बांटोगे तो काटो मतलब जातिवाद में मत बांटो, दूसरी पार्टियां जातिवाद की राजनीति कर रही हैं, इसलिए वो कह रहे हैं कि जातिवाद तोड़ो, हिंदू रहो ताकि हमें थोक वोट मिलें अब इस बात को स्पष्ट करने के लिए वे सड़कों पर उतर आए हैं।
इसका मतलब ये है कि वो राजनीतिक सत्ता के एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं और कह रहे हैं कि जाति को अलविदा कहो और हिंदू भाई भाई हैं, अब हिंदुओं में जाति है, हिंदू की क्या पहचान है, जैसे ही वो पूछेगा आप कौन हो तो आप कहेंगे हिंदू, ठीक है कौन से भाई आप ब्राह्मण हो या क्षत्रिय, यहीं से बातचीत शुरू होती है, जब आप कहेंगे आप हिंदू हो तो आप कहेंगे कौन से हिंदू, मतलब ब्राह्मण या क्षत्रिय, तो आप कहेंगे नहीं हम हिंदू हैं
क्या कोई आपकी बात पर विश्वास करेगा, आप बताइए, अगर आप अपनी बहन की शादी करने गए हैं तो आप जिसके घर गए हैं उसके घर जाकर पूछेंगे क्यों भाई आप हिंदू हो, लेकिन स्वाभाविक तौर पर वो वही है, आप उससे पूछेंगे कौन से भाई वो कहेगा हम हिंदू हैं, आप शादी कर पाओगे, नहीं कर पाओगे क्योंकि वो हमारी परंपरा है, हमारे यहां वर्णाश्रम का विचार है, तो हां ये जरूर होना चाहिए इसके लिए आंदोलन होना चाहिए कि वर्णाश्रम को मानते हुए हम किसी से शादी ना करें।
हम कोई भी अपमानित करने वाला काम नहीं करेंगे, हम किसी का तिरस्कार नहीं करेंगे, हम किसी से घृणा नहीं करेंगे, हम सब एक हो सकते हैं लेकिन अगर हमने जातिवाद को अलविदा कह दिया तो हमारी पहचान नष्ट हो जाएगी, जब हमारी पहचान नष्ट हो जाएगी तो हम कैसे नहीं बताते रहेंगे, तो हो ये रहा है कि जैसे ही सना कहती है जातिवाद को अलविदा कहो तो सनातन धर्म नष्ट हो जाता है, फिर उसके बाद सनातनियों और हिंदू भाई-भाई कैसे हो जाएंगे, तो ये जो सनातनी कहने का जुगाड़ किया है,
असल में ये लोगों के बीच में राजनीति का एजेंडा लागू करने के लिए किया गया है, ये एक राजनीतिक खेल है और कुछ नहीं, सनातन धर्म का इससे कोई लेना-देना नहीं है और इसीलिए पुरी के शंकराचार्य जी महाराज ने कहा है कि मैं संबल में उनके हाथ का पानी भी नहीं पिऊंगा।