CM Mohan Yadav: मध्य प्रदेश की मोहन सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। मध्य प्रदेश के इंदौर में 1500 घरों पर बुलडोजर चलाया जाएगा। उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ से पहले प्रशासन का यह एक बड़ी कार्यवाही है।
CM Mohan Yadav महाकाल की नगरी उज्जैन में साल 2028 में लगने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले से पहले इंदौर में 1500 घरों पर मोहन सरकार का बुलडोजर चलेगा, यहां क्षिप्रा नदी को प्रदूषणमुक्त बनाने के बड़े अभियान के तहत इंदौर में प्रशासन ने कान्हा और सरस्वती नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में कच्चे मकानों के अतिक्रमण हटाने का फैसला किया है।
इस बारे में जानकारी देते हुए जिलाधिकारी आशीष सिंह ने बताया कि कान्हा और सरस्वती नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में जिन अतिक्रमणों की पहचान हुई है, पहले चरण में उनमें से करीब 15 सौ कच्चे मकान हट जाएंगे।
आपकों बता दें की इनमे कुछ अतिक्रमणकर्ताओं को नोटिस भी दिए गए हैं। सिंह ने कहा कि बारिश के चलते इन लोगों को स्थानांतरित किए जाने में थोड़ी देरी हुई है। अगले पांच- दस दिनों में इन्हें स्थानांतरित करने का काम शुरू किया जाएगा, सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और मध्यप्रदेश हाई कोर्ट पहले ही निर्देश दे चुके हैं कि कान्ह और सरस्वती के 30-30 मीटर के दायरे अवैध निर्माण हटाए जाएं।
अधिकारियों ने बताया कि प्रशासन ने इंदौर में दोनों नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में कुल मिलाकर करीब 3,000 अतिक्रमणों की पहचान की है, इनमें कच्चे मकानों के अलावा आवासीय और वाणिज्यिक उपयोग के पक्के मकान भी शामिल हैं।
इंदौर के ग्रामीण क्षेत्र से निकलने वाली क्षिप्रा उज्जैन पहुंचती है, जहां हर 12 साल में लगने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले में लाखों श्रद्धालु इस नदी में स्नान करते हैं। क्षिप्रा को हिंदुओं की धार्मिक मान्यताओं में “मोक्षदायिनी” कहा जाता है।
देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में गंदे नाले में तब्दील कान्हा और सरस्वती नदियों का पानी भी आगे जाकर क्षिप्रा में मिलता है और इसमें होने वाले प्रदूषण में इजाफा करता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि भारी प्रदूषण के कारण क्षिप्रा नदी का पानी उज्जैन में आचमन के लायक नहीं है।
उज्जैन में चार साल बाद लगने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले से पहले क्षिप्रा नदी को प्रदूषणमुक्त करने के लिए इंदौर के प्रशासन ने 600 करोड़ की लागत वाली परियोजना का खाका तैयार किया है, इसमें 11 नये सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) लगाया जाना और 450 किलोमीटर लंबी सीवेज लाइन बिछाया जाने के काम शामिल हैं।
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संपादक – अमर मिश्रा