बॉलीवुड की फेमस हीरोइन बनी "संयासी" दो साल की बड़ी तपस्या के बाद ममता कुलकर्णी महामंडलेश्वर, बताया फ्यूचर प्लान!
Mamta Kulkarni: मशहूर फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने विधि विधान से संन्यास दीक्षा लेकर किन्नर अखाड़े में शामिल हो गई हैं। उनके राज्याभिषेक के बाद किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने इसकी घोषणा की। Ladli Behna Awas Yojana: लाडली बहनों के लिए बड़ी सौगात,स्कीम के पहले चरण में बनेंगे 16,650 …

Mamta Kulkarni: मशहूर फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने विधि विधान से संन्यास दीक्षा लेकर किन्नर अखाड़े में शामिल हो गई हैं। उनके राज्याभिषेक के बाद किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने इसकी घोषणा की।
Ladli Behna Awas Yojana: लाडली बहनों के लिए बड़ी सौगात,स्कीम के पहले चरण में बनेंगे 16,650 मकान!
उन्होंने बताया कि ममता किन्नर अखाड़े में शामिल हो गई हैं। उनका नाम महामंडलेश्वर श्री यमाई ममता नंद गिरि रखा गया है। वह पिछले ढाई साल से हमारे साथ हैं। उन्हें शामिल करने के फैसले में हमारा पूरा अखाड़ा हमारे साथ था। महामंडलेश्वर बनने के बाद ममता ने कहा, यह ब्रह्मांड शिव शक्ति से उत्पन्न हुआ है।
मैंने कई वर्षों तक तपस्या की है। मेरे गुरु चैतन्य गगन गिरि जूना अखाड़े से हैं। मैं दो साल से किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के संपर्क में थी। जगतगुरु महेंद्र गिरि जी ने मेरी परीक्षा ली कि मैं कितना ज्ञान, ध्यान, तप और ब्रह्म विद्या के बारे में क्या जानती हूं।
मुझे नहीं पता था कि मेरे इतने वर्षों के तप की तीन दिनों तक परीक्षा ली जा रही है। मैं इसमें पूरी तरह से पास हो गई। मुझे महामंडल बनने का निमंत्रण मिला। ममता ने कहा कि संन्यासी बनने के तीन रास्ते हैं- एक वामपंथ, दूसरा दक्षिणपंथ और तीसरा मध्यपंथ।
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी इसी मध्यपंथ की महामंडलेश्वर हैं। मैंने 23 साल तक साधना और तपस्या की है। मैं आध्यात्मिक जीवन के जरिए इन सबसे मुक्ति पाने आई हूं और मुझे लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से बेहतर कोई संस्थान नहीं मिला।
मैं सांसारिक जीवन जीते हुए भी आध्यात्मिक जीवन में आना चाहती थी। मैं बॉलीवुड में वापस नहीं आना चाहती। इसीलिए मैंने 23 साल पहले बॉलीवुड छोड़ दिया। वहां वापस जाने का सवाल ही नहीं उठता।
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ममता ने बताया कि सनातन का मतलब क्या है। जो भी ईश्वर है, जो भी ईश्वर था और रहेगा। मैं मध्यम मार्ग में रहते हुए स्वतंत्र रूप से इसका प्रचार करूंगी। यह कुंभ मेला 144 साल बाद लगा है। मैं 12 साल पहले भी यहां आई थी। वह भी पूर्ण कुंभ था।
इस बार मैंने विश्वनाथ मंदिर जाने का कार्यक्रम बनाया था, लेकिन उसके पंडित अचानक गायब हो गए। तब मुझे लगा कि आदिशक्ति ने मुझसे कहा है कि आज शुक्रवार है। फिर किस बात का इंतजार कर रही हो? तुमने 23 साल तक जो तपस्या की है, उसका प्रमाण पत्र तो तुम ही पाने की हकदार हो।
उन्होंने कहा कि मुझे कहीं कैद नहीं होना पड़ेगा। क्योंकि मध्यम मार्ग का यह किन्नर अखाड़ा पूरी तरह स्वतंत्र है, तो इससे बेहतर क्या हो सकता है। इस संगठन और सनातन के लिए जो भी कर सकती हूं, मैं उसके लिए समर्पित हूं। दरअसल मैं कई सालों से सनातन के लिए समर्पित हूं। मैं जहां से भी कमाऊंगी, यहीं उनके चरणों में समर्पित करूंगी।
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि अगर बॉलीवुड में उन्हें धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए कोई काम ऑफर किया जाता है, जैसे हेमा मालिनी, अरुण गोविल। संतों और धर्म का प्रचार-प्रसार अलग-अलग रूपों में हो सके तो वे ऐसा काम कर सकते हैं। उन्हें पूरे किन्नर अखाड़े से यह स्वतंत्रता प्राप्त है।