Singrauli एनसीएल निगाही परियोजना की ज़मीन पर अवैध कबाड़ कारोबार का खुलासा, नवानगर पुलिस की चुप्पी पर उठे सवाल...

सिंगरौली जिले के नवानगर थाना क्षेत्र अंतर्गत एनसीएल निगाही परियोजना की भूमि पर एक बड़ा अवैध कबाड़ कारोबार संचालित हो रहा है। विश्वसनीय सूत्रों और स्थानीय रहवासियों के अनुसार यह अवैध गतिविधि CMPDI सब स्टेशन के ठीक बगल में, वाशिंग सेंटर के पीछे चल रही है। यहाँ रात के अंधेरे में लाखों रुपये के कबाड़ की हेराफेरी होती है। यह क्षेत्र अब कबाड़ माफियाओं का सुरक्षित अड्डा बन चुका है, जहां से चोरी का माल सिंगरौली के अलग-अलग हिस्सों में सप्लाई किया जाता है।

स्थानीय नागरिकों ने आरोप लगाया है कि एनसीएल की खदानों में रात के समय सुनियोजित तरीके से चोरी की जाती है, और चोरी किया गया सामान इसी इलाके में लाकर छुपाया जाता है। इसके बाद इन सामग्रियों को ट्रकों और पिकअप गाड़ियों में लादकर अन्य जिलों और प्रदेशों में भेज दिया जाता है। खास बात यह है कि इस पूरी अवैध प्रक्रिया की भनक स्थानीय नवानगर थाना को भी है, लेकिन अब तक न तो कोई कार्रवाई हुई है और न ही कोई गंभीर जांच।

रहवासियों ने आरोप लगाया है कि नवानगर पुलिस जानबूझकर आंख मूंदे हुए है। पुलिस द्वारा कोई पेट्रोलिंग या छानबीन नहीं की जा रही, जिससे साफ संकेत मिलता है कि कहीं न कहीं प्रशासनिक संरक्षण के कारण यह अवैध धंधा फलफूल रहा है। कई बार लोगों ने इस संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी अधिकारियों को दी, लेकिन हर बार कार्रवाई की बजाय मामले को दबा दिया गया।

खतरे की घंटी: परियोजना क्षेत्र में बढ़ता असुरक्षा का माहौल...?

एनसीएल निगाही परियोजना एक अति-संवेदनशील औद्योगिक क्षेत्र है, जहां सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम होना चाहिए। लेकिन अब जब इसी क्षेत्र की ज़मीन पर खुलेआम चोरी का सामान इकठ्ठा किया जा रहा है और गाड़ियों के जरिए बेचा जा रहा है, तो यह एनसीएल प्रशासन और सुरक्षा विभाग के लिए भी एक बड़ी लापरवाही का संकेत है। इससे खदानों में चोरी की घटनाएं बढ़ने और सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती मिलने की संभावना और अधिक बढ़ जाती है।

जिला प्रशासन और एनसीएल प्रबंधन से कार्रवाई की मांग...

स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि जिला प्रशासन, एनसीएल सुरक्षा प्रबंधन और पुलिस अधीक्षक इस मामले में गंभीरता दिखाएं और एक उच्च स्तरीय जांच दल गठित कर इस कबाड़ माफिया नेटवर्क का भंडाफोड़ करें। साथ ही, ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों की भी जांच हो जो इस पूरे धंधे को संरक्षण दे रहे हैं।