रीवा जिले में अचानक धारा 163 हुई लागू! जिला प्रशासन ने लगाया प्रतिबंध जारी हुए निर्देश
रीवा की न्यूज: रीवा जिले में धारा 163 लागू हो गई है, जिसका उद्देश्य खेतों में पराली जलाने रोकथाम का है।

जिले में किसानों एवं पशुपालकों को भूसा की उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा ग्रीष्म ऋतु में अग्नि दुर्घटनाओं पर नियंत्रण के लिए कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी श्रीमती प्रतिभा पाल ने पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए हैं। यह आदेश 17 मार्च से सम्पूर्ण रीवा जिले में लागू हो गया है। आदेश भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत जारी किए गए हैं। प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर दो एकड़ से कम भूमि वाले किसानों पर 2500 रुपए, दो से पांच एकड़ भूमि वाले किसानों पर 5000 रुपए तथा पांच एकड़ से अधिक भूमि वाले किसानों पर 15000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। साथ ही भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 223 के तहत प्रकरण दर्ज कर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
चूंकि आदेश की व्यक्तिगत तामील संभव नहीं है, इसलिए इसे भारतीय नागरिक संहिता 2023 की धारा 163 (2) के तहत एकपक्षीय रूप से पारित किया गया है। इस संबंध में आम जनता को विभिन्न संचार माध्यमों से सूचित किया गया है। जारी आदेश के अनुसार अब रबी फसलों की कटाई के बाद खेतों में आग लगाने वाले किसानों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। हार्वेस्टर से गेहूं की कटाई करने पर स्ट्रा-रीपर लगाना अनिवार्य होगा। जिन हार्वेस्टर में अवशेष प्रबंधन की व्यवस्था नहीं होगी, उन्हें गेहूं की कटाई नहीं करने दी जाएगी। आदेश का उल्लंघन करने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। जिले में चलने वाले कंबाइन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रा-रीपर लगाना अनिवार्य होगा।
जिला परिवहन अधिकारी इसकी निगरानी करें। इसका उल्लंघन करने वालों पर कानूनी कार्रवाई करें। खेत में पराली जलाने से मिट्टी के कई लाभदायक सूक्ष्म जीव और जैविक कार्बन जलकर नष्ट हो जाते हैं। जिससे मिट्टी सख्त हो जाती है। इसकी जल धारण क्षमता कम हो जाती है। इसलिए पराली जलाने पर रोक लगाई गई है। पराली जलाने की बजाय स्ट्रा-रीपर से उसे भूसा बनाएं और पशु चारे के रूप में उपयोग करें। अगर किसान गेहूं के बाद कोई अन्य फसल लेना चाहता है तो हैप्पी सीडर और सुपर सीडर से फसल की बुवाई करें। इससे पराली मिट्टी में मिलकर फसल के लिए खाद का काम करेगी।
पराली को बेलर, रेकर और चॉपर मशीन की मदद से बंडल बनाकर औद्योगिक ईंधन के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। ... तहसीलदार पराली जलाने वाले किसानों की सुनवाई करेंगे और एसडीएम के माध्यम से अंतिम निराकरण के लिए रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। कलेक्टर ने पुलिस अधीक्षक और सभी अनुविभागीय दंडाधिकारी (राजस्व), तहसीलदार और कृषि विभाग के संबंधित अधिकारियों को इस संबंध में कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।