भाजपा विधायक बोले: यूएन न रोकता तो भारत ने खत्म कर दिया होता पाकिस्तान
मध्य प्रदेश के विधायक नरेंद्र प्रजापति ने तिरंगा रैली में दिया विवादित बयान, कहा ऑपरेशन सिंदूर के दौरान यूएन न रोकता तो भारत ने पाकिस्तान को मिटा दिया होता।

मध्य प्रदेश के रीवा जिले के मनगवां विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक नरेंद्र प्रजापति एक ताजा बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं। मनगवां में तिरंगा रैली के दौरान उन्होंने दावा किया कि अगर संयुक्त राज्य (यूएन) ने संघर्षविराम का आदेश न दिया होता, तो भारत अब तक पाकिस्तान का अस्तित्व समाप्त कर चुका होता।
विधायक का यह बयान ऐसे वक्त पर सामने आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर हाल ही में चार दिन तक चले ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद 14 मई को सीजफायर की घोषणा हुई थी। यह संघर्षविराम यूएन की मध्यस्थता से संभव हुआ।
"ऑपरेशन सिंदूर" का ज़िक्र कर बढ़ा बयान का वजन
प्रजापति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का ज़िक्र करते हुए कहा कि भारत की सैन्य ताकत का परिणाम सामने था। अगर संयुक्त राष्ट्र हस्तक्षेप न करता, तो भारत ने पाकिस्तान को पूरी तरह खत्म कर दिया होता।
सीमा पर टकराव और फिर सुलह
10 मई से भारत-पाकिस्तान सीमा पर ड्रोन और मिसाइल हमलों का सिलसिला चला।
पाकिस्तान ने सीमा पार ड्रोन हमलों की पुष्टि की।
दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच बातचीत के बाद 14 मई को सीजफायर पर सहमति बनी।
तनाव घटाने के लिए यूएन की भूमिका अहम रही।
सियासी गलियारों में हलचल
विधायक के बयान ने भाजपा के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। खासकर इसलिए क्योंकि प्रधानमंत्री खुद कई बार कह चुके हैं कि भारत कोई भी निर्णय बाहरी दबाव में नहीं लेता। ऐसे में यूएन के आदेश को निर्णायक बताना पार्टी लाइन से अलग माना जा रहा है।
सोशल मीडिया पर उठे सवाल
सोशल मीडिया पर विधायक के बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कई यूजर्स का कहना है कि यह बयान प्रधानमंत्री की विदेश नीति और सख्त रुख के बिल्कुल विपरीत है।
भाजपा नेताओं के विवादित बयानों की कड़ी
यह पहला मौका नहीं है जब भाजपा के किसी नेता के बयान से विवाद खड़ा हुआ हो। इससे पहले मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह ने सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसे लेकर भी पार्टी को आलोचना झेलनी पड़ी थी।
भाजपा विधायक नरेंद्र प्रजापति का यह बयान जहां राष्ट्रभक्ति के नाम पर समर्थकों के बीच उत्साह बढ़ा सकता है, वहीं राजनीतिक स्तर पर पार्टी की स्थिर नीति और नेतृत्व की सोच पर सवाल खड़े करता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी इस बयान को किस तरह संभालती है।