मध्यप्रदेश के साढ़े चार लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों के लिए राहत की बड़ी खबर सामने आई है। लंबे समय से अटकी हुई पदोन्नतियों का रास्ता अब साफ होने जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए पदोन्नति का नया फार्मूला तैयार कर लिया है।

सूत्रों के अनुसार, यह प्रस्ताव अब सचिव स्तर पर पहुंच चुका है और आगामी मंगलवार को कैबिनेट बैठक में इसे मंजूरी मिलने की पूरी संभावना है। यह कदम उन हजारों कर्मचारियों के लिए उम्मीद की किरण बनकर आया है, जो वर्षों से अपने प्रमोशन का इंतजार कर रहे थे।

मुख्यमंत्री का वादा अब हकीकत बनने के करीब

8 अप्रैल को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सार्वजनिक मंच से घोषणा की थी कि उनकी सरकार कर्मचारियों की पदोन्नति से जुड़ा निर्णय जल्द लेगी। अब जब प्रस्ताव अंतिम स्तर पर है, तो कर्मचारियों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है।

राज्य में ऐसे हजारों शिक्षक, पटवारी, क्लर्क, स्वास्थ्य कर्मी और पुलिस कर्मचारी हैं, जो लम्बे समय से एक ही पद पर कार्यरत हैं। वे लगातार योग्यतानुसार प्रमोशन की मांग कर रहे थे, जो अब पूरी होने की कगार पर है।

क्या है नया प्रमोशन फॉर्मूला?

सरकार द्वारा तैयार किया गया प्रमोशन फॉर्मूला सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस पर आधारित है और इसमें वर्टिकल रिजर्वेशन का विशेष ध्यान रखा गया है। यह फॉर्मूला कानूनी विशेषज्ञों, कर्मचारी संगठनों और आरक्षण नीति के जानकारों की सलाह लेकर तैयार किया गया है, ताकि किसी भी कानूनी अड़चन से बचा जा सके।

कर्मचारियों में खुशी की लहर

मध्यप्रदेश कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष शिवनारायण शर्मा ने कहा, "हमने वर्षों तक इस दिन का इंतजार किया है। मुख्यमंत्री ने जो कहा था, उसे निभाया भी है। यह कदम न केवल हमारे करियर के लिए, बल्कि आत्मसम्मान के लिए भी बेहद जरूरी है।

प्रस्ताव पारित होने पर होंगे ये बड़े लाभ

4.75 लाख से अधिक कर्मचारियों को मिलेगा प्रमोशन का लाभ

राज्य के सभी विभागों में रुकी पदोन्नति प्रक्रिया होगी बहाल

वरिष्ठता और आरक्षण के बीच संतुलन सुनिश्चित

लम्बित मामलों में समाधान की उम्मीद

नौकरी में मनोबल और प्रदर्शन में होगा सुधार

राजनीतिक रणनीति भी मानी जा रही है यह पहल

निकाय चुनाव और आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह फैसला राजनीतिक दृष्टि से भी अहम माना जा रहा है। कर्मचारियों की नाराजगी दूर करना सरकार के लिए जरूरी है, और यह कदम उन्हें साधने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।