MP News: हाइकोर्ट का बड़ा फैसला,मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों एवं पेंशनरों को मिलेगा 6वे वेतनमान का लाभ
MP News: मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के पक्ष में हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। यह फैसला कोर्ट की डबल बेंच ने सुनाया। इसके तहत सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को छठे वेतनमान की अतिरिक्त वेतन वृद्धि मिलेगी, रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस फैसले से राज्य के 3.5 लाख पेंशनर्स-कर्मचारियों को लाभ होगा।
हाईकोर्ट ने राज्य की मोहन सरकार को नोटिस जारी कर कहा कि चार हफ्ते में फैसला लिया जाए और याचिकाकर्ता को इसकी जानकारी देकर आदेश जारी किया जाए कोर्ट के फैसले से कर्मचारियों का मूल वेतन बढ़ेगा, वहीं पेंशनर्स को भी पेंशन में लाभ मिलेगा।
इस मामले को लेकर पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष आमोद सक्सेना ने बताया कि मप्र वेतन पुनरीक्षण नियम 2009 के अनुसार वेतन वृद्धि एक जुलाई से समान रूप से की गई थी, जिससे कर्मचारियों को छठे वेतनमान में 13 से 18 माह बाद वेतन वृद्धि का लाभ मिला।
मध्य प्रदेश के कर्मचारी और पेंशनर्स लगातार मांग करते रहे हैं कि उनका वेतन केंद्र सरकार के परिपत्र के अनुसार निर्धारित किया जाए, लेकिन सरकार इसे नजरअंदाज करती रही। पेंशनर्स एसोसिएशन के तत्कालीन प्रांतीय उपाध्यक्ष गणेश दत्त जोशी ने 22 मार्च 2012 को ज्ञापन सौंपा था।
तत्कालीन मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव वित्त और वित्त मंत्री ने वित्त विभाग की फाइल को मंजूरी भी दे दी, लेकिन आदेश जारी नहीं हुआ। इस पर पेंशनर्स कल्याण संघ के प्रदेश अध्यक्ष सक्सेना ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इस मामले की 18 अक्टूबर को डबल बेंच में सुनवाई हुई।
कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में फैसला लेने और याचिकाकर्ता को एक सप्ताह में निर्णय से अवगत कराने के आदेश दिए। सक्सेना ने बताया कि याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता मेजर केसी गिल्डियार ने बहस की।हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि केंद्र ने 19 मार्च 2012 को छठे वेतनमान के नियमों में संशोधन किया था।
इसके अनुसार, जिनकी वेतन वृद्धि 2005 में 1 जनवरी से 1 जुलाई के बीच थी, उन्हें पांचवें वेतनमान की एक वेतन वृद्धि दी जानी चाहिए और उनका वेतन छठे वेतनमान के अनुसार तय किया जाना चाहिए।
उन्हें जुलाई 2006 से वार्षिक वेतन वृद्धि दी जानी चाहिए। याचिका में आगे कहा गया है कि उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ ने भी केंद्र सरकार के आदेश का पालन किया है और अपने कर्मचारियों का वेतन तय किया है, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने ऐसा नहीं किया।