MP news live: देश के आठ राज्य मध्यप्रदेश की लाड़ली बहना योजना को अपना चुके हैं। हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले इसका ऐलान कर दिया गया है। मध्य प्रदेश ले चुकी है इतना कर्ज।
MP news live मध्य प्रदेश की लाडली बहना योजना किस फलता ने देश में राजनीतिक दलों को नया सियासी बंद दे दिया है, इसमें पॉलिटिकल पार्टियों वॉटर पर अचूक निशाना साध रही है इसके उलट थ्री पीस की ऐसी योजनाओं को पूरे राज्य में आर्थिक ढांचा कमजोर होता जा रहा है, राज्य पर कर्ज बढ़ता जा रहा है।
मध्यप्रदेश के ही उदाहरण से समझा जा सकता है। देश के आठ राज्य एमपी की लाड़ली बहना योजना को अपना चुके हैं, हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले इसका ऐलान कर दिया गया है।
यहां पहले कांग्रेस ने दो हजार रूपए हर महीने दिए जाने का ऐलान किया था, इसके बाद बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में सौ रुपए बढ़ाकर 2100 रुपए देने का दावा किया है। यानी फ्रीबीज की होड़ सी मत्ची है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें मध्य प्रदेश में नई सरकार गठन के बाद अब तक 18000 करोड रुपए से अधिक का कर्ज मध्य प्रदेश सरकार ले चुकी है। बजट गड़बड़ाने से आर्थिक स्थिति का असर दूसरी योजनाओं पर पड़ रहा है।
कुछ योजनाएं बंद होने के कगार पर हैं सरकार ने इन्हें डिब्बे में डालने की तैयारी कर ली है, इसके पीछे वजह लाड़ली बहना योजना ही है। यह स्कीम सब पर भारी पड़ रही है, स्थिति ऐसी है कि मेधावी बच्चों को ना तो इस साल अब तक स्कूटी मिल पाई है और ना ही लैपटॉप।
स्कूटी योजना: 250 करोड़ खर्च करने होंगे
मध्यप्रदेश में 12वीं में स्कूल टॉप करने वाले एक छात्र और एक छात्रा को स्कूटी देनी की योजना है। पिछले साल सूबे में 7 हजार 790 बच्चों को स्कूटी दी गई थी, इस पर 79 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे।
इस बार ऐसे 25 हजार से ज्यादा टॉपर्स बच्चे हैं जो स्कूटी योजना के लिए पात्र हैं, एक स्कूटी की औसत कीमत यदि एक लाख रुपए आंकी जाए तो 25 हजार बच्चों के मान से सरकार को 250 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे।
लैपटॉप योजना: 90 हजार टॉपर्स हैं इस बार
मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में 12वीं में 75 फीसदी से ज्यादा अंक अर्जित करने वाले बच्चों को लैपटॉप के लिए 25 हजार रुपए दिए जाते हैं। बीते साल 78 हजार 641 बच्चों को राशि दी गई थी। इस बार ऐसे बच्चों की संख्या करीब 90 हजार है, यानी 225 करोड़ रुपए चाहिए।
इस तरह ये दोनों योजनाएं भी अच्छा खास बजट ले रही हैं। इसलिए फिलहाल तो इन्हें लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं है। सूत्रों के अनुसार, सरकार इन दोनों योजनाओं को बंद करने जा रही है।
आठ महीने में 11 हजार करोड़ दिए
मध्यप्रदेश में लाड़ली बहना योजना में महिलाओं को हर महीने 1250 रुपए दिए जा रहे हैं। सूबे की 1 करोड़ 29 लाख महिलाओं को यह राशि दी जा रही है, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कहते हैं कि पिछले आठ महीने में इस योजना के तहत महिलाओं को 11 हजार करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं।
MP ने लिया 44 हजार करोड़ का खर्च
अब मध्यप्रदेश की बात करें तो यहां की माली हालत किसी से छिपी नहीं है। योजनाओं की पूर्ति के लिए सरकार कर्ज पर कर्ज लिए जा रही है।
आंकड़े बताते हैं कि एमपी पर 31 मार्च 2024 तक की स्थिति में कुल 3 लाख 75 हजार 578 करोड़ रुपए का कर्ज है,यह राशि पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान लिए गए 44 हजार करोड़ रुपए के कर्ज के कारण बढ़ी है।
31 मार्च 2023 तक राज्य सरकार पर 3 लाख 31 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था। इसके उलट आमदनी का अनुमान 2 लाख 63 हजार 817 करोड़ रुपए का ही है। मतलब जितना बजट है उससे कहीं ज्यादा राज्य पर कर्जा है और आय भी एक लाख करोड़ से कम है।
मेरा नाम अमर मिश्रा है और मैं मध्यप्रदेश के रीवा जिले का निवासी हूं। मैंने अपनी स्नातक की पढ़ाई B.Com / CA अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय (APSU) से पूरी की है। मुझे मीडिया जगत में काम करते हुए लगभग 9 साल से ज्यादा का अनुभव है।मैंने 2016 में रीवा जिले में पत्रकारिता की शुरुआत की थी और FAST INDIA NEWS से अपने कैरियर की शुरुआत की। इसके बाद, 2017-18 में मैंने मध्यप्रदेश जनसंदेश और आंखों देखी लाइव में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं। 2019 में, मैंने अमरकीर्ति समाचार पत्र में रीवा ब्यूरो प्रमुख के रूप में कार्य किया। 2019-20 से, मैं HARIT PRAWAH समाचार पत्र का सम्पादक हूँ।अपने पत्रकारिता करियर के दौरान, मुझे सटीक और निष्पक्ष समाचार प्रस्तुत करने के लिए कई बार सम्मानित किया गया है। मेरी कोशिश हमेशा यही रही है कि मैं अपने पाठकों को सच्ची और प्रामाणिक खबरें प्रदान करूं।पत्रकारिता के क्षेत्र में मेरी यह यात्रा निरंतर जारी है और मुझे विश्वास है कि भविष्य में भी मैं अपने पाठकों के लिए विश्वसनीय और सटीक समाचार प्रदान करता रहूंगा।
संपादक – अमर मिश्रा