White Tiger Rewa: रीवा के सफेद शेर की अद्भुत और ऐतिहासिक घटना, इस दिन रखता था व्रत नही खाता था मांस

White Tiger Rewa:  रीवा मध्यप्रदेश के एक प्राचीन और ऐतिहासिक क्षेत्र में स्थित है यह क्षेत्र न केवल अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है, बल्कि यहाँ की वन्य जीवों की विविधता भी उल्लेखनीय थी। रीवा के राजाओं ने हमेशा इस वन्य जीवन की सुरक्षा और संरक्षण को महत्व दिया। दुनिया के सबसे पहले सफेद बाघ मोहन  को 1951 में सीधी (Sidhi) के  पंखोरा के जंगल में पकड़ा गया था।

White Tiger Rewa:  मोहन रविवार को रखता था व्रत मात्र दूध पीटा था

दुनिया का पहला सफेद शेर मोहन रविवार के दिन रखता था व्रत मांस नहीं खाता था. वह ऐसा क्यों करता था यह कोई नहीं जान पाया मगर कुछ लोगो का दावा है कि मोहन रविवार को व्रत रखता था. मोहन को रविवार के दिन केवल दूध दिया जाता था ।

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White Tiger rewa: मोहन की इस दिन हुई थी मौत शोक में डूबा था विन्ध्य प्रदेश

बताया गया कि मोहन की मौत 1969 को हुई. मोहन की मौत की खबर सुनकर महाराजा कई दिन तक अपने कमरे से नहीं निकले थे. मोहन का अंतिम संस्कार पूरे राज्यकीय सम्मान के साथ किया गया था जहां पूरे विन्ध्य   कई दिनों तक शोक में डूबा रहा।

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महाराजा मार्तंड सिंह और सफेद शेर मोहन में अद्भुत संबंध

पहले सफेद शेर से परिचय कराने वाले  महाराजा स्वर्गीय मार्तंड सिंह और मोहन के बीच एक गहरा नाता था. राजा अपना जादा समय गोविंदगढ़ के किले में मोहन को देते थे. उसके साथ कई खेल जैसे फुटबॉल खेलते थे. ऊंचाई पर महाराज होते थे, बाड़े में मोहन.  मोहन का इतना सम्मान था, की उन्हें कोई नाम से नहीं बुलाता था,

रीवा में  सफेद शेर का आगमन

1950 के दशक की शुरुआत में, रीवा के महाराजा मार्तण्ड सिंह martand singh ने अपने जंगलों में एक विशेष प्रजाति के शेर को देखने की इच्छा व्यक्त की। यह विशेष शेर एक प्रकार के प्राकृतिक उत्परिवर्तन का परिणाम था, जिससे उसका रंग सामान्य शेरों की तुलना में अलग था—सफेद। सफेद शेर एक दुर्लभ जीन परिवर्तन के कारण अपनी विशेषता रखते हैं, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम होती है।

कैसे हुई सफेद शेर की खोज

1951 में, महाराजा मार्तण्ड सिंह ने अपने सेना को सफेद शेर की खोज में भेजा। उनके निर्देशन में, वन्यजीवों की एक विशेष टीम ने अत्यंत कठिन परिस्थितियों में सफेद शेर की खोज की। लंबी खोज और कई प्रयासों के बाद, उन्हें एक सफेद शेर मिला। यह शेर अद्वितीय था, और उसकी खोज ने सभी को हैरान कर दिया।

रीवा के जंगल में सफेद शेर की इस तरह थी सुरक्षा व्यवस्था

सफेद शेर को रीवा के जंगल में सुरक्षित और आरामदायक वातावरण में लाया गया। महाराजा ने विशेष ध्यान रखा कि शेर को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। शेर को एक विशेष बाड़े में रखा गया, जो उसकी सुरक्षा और सुख-शांति के लिए निर्मित था। इसके साथ ही, उसे उचित आहार और चिकित्सा देखभाल भी दी गई मोहन के खानपान का गोविंदगढ़ की जंगल में विशेष ध्यान दिया जाता था मोहन शुरू से ही रविवार के दिन मांस नहीं खाता था मात्र दूध पीता था।

सफेद शेर की अद्वितीयता और उसकी खूबसूरती ने उसे बहुत प्रसिद्धि दिलाई। लोगों और शिकारियों के लिए यह एक आकर्षण का केंद्र बन गया। इसके बारे में विभिन्न अखबारों और पत्रिकाओं में समाचार प्रकाशित होने लगे। सफेद शेर को देखने के लिए पर्यटक दूर-दूर से रीवा आने लगे। सफेद शेर की प्रसिद्धि ने उसके जीवन को भी खतरे में डाल दिया। कुछ लोग इसे एक मूल्यवान शिकार मानने लगे और उसकी सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई। महाराजा और उनके सहयोगियों ने इस स्थिति को समझते हुए शेर की सुरक्षा के लिए विशेष उपाय किए।

कौन बना सफेद शेर का उत्तराधिकारी

Whit tiger सफेद शेर की लोकप्रियता और उसके जीवन की कहानी ने रीवा के जंगल में उसके वंशजों की खोज को भी प्रेरित किया। इसके बाद, कई सफेद शेरों ने जन्म लिया, और उन्हें भी रीवा के जंगल में सुरक्षित रूप से रखा गया।  रीवा के वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया।

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