आज प्रयागराज महाकुंभ में 7000 से अधिक महिलाओं ने ले लिया सन्यास,छोड़ दी सांसारिक मोह माया!
महाकुंभ 2025 के दौरान विभिन्न अखाड़ों की 7,000 से अधिक महिलाओं ने संन्यास दीक्षा लेकर सनातन धर्म की सेवा और रक्षा का संकल्प लिया है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जारी आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई।
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Mahakubh 2025: महाकुंभ 2025 एक ऐतिहासिक आयोजन बन रहा है, जहां सनातन धर्म की सेवा और रक्षा के संकल्प के साथ 7,000 से अधिक महिलाओं ने संन्यास की दीक्षा ग्रहण की है। विभिन्न अखाड़ों में आयोजित दीक्षा समारोहों में इन महिलाओं ने आध्यात्मिक मार्ग को अपनाने का निश्चय किया, जो एक महत्वपूर्ण सामाजिक और धार्मिक बदलाव को दर्शाता है।
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संन्यास की ओर महिलाओं का बढ़ता रुझान
जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी, श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अरुण गिरी और वैष्णव संन्यासियों के धर्माचार्यों के मार्गदर्शन में हजारों महिलाओं ने दीक्षा ली। खास बात यह है कि इस बार संन्यास लेने वाली महिलाओं में शिक्षित महिलाओं की संख्या भी काफी अधिक रही, जिससे यह स्पष्ट होता है कि आध्यात्मिकता और सनातन धर्म के प्रति रुचि समाज के हर वर्ग में बढ़ रही है।
नागा संन्यासिनी बनने का संकल्प
श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा की अध्यक्ष डॉ. देव्या गिरी ने बताया कि इस वर्ष 246 महिलाओं को ‘नागा संन्यासिनी’ के रूप में दीक्षा दी गई, जो 2019 के कुंभ मेले की तुलना में अधिक संख्या है। यह दर्शाता है कि महिलाओं का झुकाव अब केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि वे सनातन धर्म की रक्षा और प्रचार-प्रसार के लिए संन्यास मार्ग को भी अपना रही हैं।
महाकुंभ में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी
दिल्ली विश्वविद्यालय की शोध छात्रा इप्सिता होल्कर के अनुसार, महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की संख्या में महिलाओं की भागीदारी भी उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है। उनके सर्वेक्षण के अनुसार, पहले स्नान पर्व से लेकर बसंत पंचमी तक कुंभ में आने वाले हर 10 श्रद्धालुओं में से 4 महिलाएं थीं। यह न केवल धार्मिक आस्था बल्कि समाज में महिलाओं की बढ़ती आध्यात्मिक सक्रियता को भी दर्शाता है।
महाकुंभ का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
13 जनवरी से प्रयागराज में महाकुंभ का शुभारंभ हुआ, जो 12 वर्षों में एक बार आयोजित होने वाला भव्य आयोजन है। हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयागराज में बारी-बारी से आयोजित होने वाला कुंभ मेला धार्मिक आस्था, ज्योतिषीय महत्व और सामाजिक बदलाव का प्रतीक है। संगम के पवित्र जल में स्नान और पूजा-अर्चना का यह अवसर श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष प्राप्ति का महत्वपूर्ण साधन माना जाता है।
महाकुंभ 2025 इस बार न केवल धार्मिक अनुष्ठानों के लिए चर्चा में है, बल्कि इसमें महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और संन्यास की दीक्षा ने इसे और भी खास बना दिया है। यह आयोजन समाज में महिलाओं की आध्यात्मिक स्वतंत्रता और सनातन धर्म के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाता है।