इतने पॉवरफुल है आपके जिले के कलेक्टर, सांसद विधायक हिलाने का रखते दम, एक DM अधिकारी कि 5 शक्तियां
कलेक्टर के पास यह अधिकार होता है कि उनके क्षेत्र में कोई भी आम नागरिक जिस पर किसी भी तरह का आपराधिक मामला नहीं है, अगर वह बंदूक के लाइसेंस के लिए आवेदन करता है, तो बंदूक का लाइसेंस जारी करने का काम कलेक्टर के पास होता है
जब किसी जिले में एक आईएएस अधिकारी को डीएम या कलेक्टर के रूप में नियुक्त किया जाता है, तो उनके पास ऐसी कौन सी शक्तियां होती हैं जो उन्हें अन्य अधिकारियों से अलग करती हैं, मतलब यहां वे ज्यादा शक्तिशाली होते हैं, दोस्तों आपने देखा होगा कि आपके जिले में कई लोग अपनी सुरक्षा के लिए अपने पास बंदूक रखते हैं, सवाल यह उठता है कि इस बंदूक का लाइसेंस कौन जारी करता है, कलेक्टर के पास यह अधिकार होता है कि उनके क्षेत्र में कोई भी आम नागरिक जिस पर किसी भी तरह का आपराधिक मामला नहीं है, अगर वह बंदूक के लाइसेंस के लिए आवेदन करता है, तो बंदूक का लाइसेंस जारी करने का काम कलेक्टर के पास होता है
मतलब आपको जो बंदूक का लाइसेंस मिलेगा उसमें मुख्य हस्ताक्षर कलेक्टर के होंगे, यहां कलेक्टर के अलावा किसी और के नहीं हो सकते। एक अधिकारी को दी गई दूसरी शक्ति गोद लेने की रजिस्ट्री की होती है। आपको बता दें कि अगर आपके बीच कोई माता का परिवार है जो अपने बच्चे पैदा नहीं कर पाया है और वह बच्चा गोद लेना चाहता है, तो कलेक्टर के पास रजिस्ट्री करानी होगी।
इसके बाद तीसरी शक्ति दी जाती है जो उसको बहुत शक्तिशाली बनाती है। अगर आपके क्षेत्र में कोई विधायक है तो उनकी सुरक्षा से जुड़े आदेश देने का अधिकार संघ को है। मान लीजिए आपके पास कोई सांसद या विधायक है और उनका काम सबसे ज्यादा मायने रखता है तो यहां उनको दी जाने वाली सुरक्षा के आदेश देने की शक्ति डीएम के पास है। तो यहां डीएम एसएसपी को आदेश देगा। जो भी विधायक या सांसद आ रहा है उसकी सुरक्षा से जुड़े सारे इंतजाम एसएसपी जाकर देखेगा और सुरक्षा के लिए भी वहां जाएगा।
इसके बाद कलेक्टर के पास चौथी शक्ति है जो राजस्व वसूलने की है। राजस्व वसूलने का यह एक ऐसा गुण है जिसकी वजह से डीएम को कलेक्टर कहा जाता है। यानी जिला मजिस्ट्रेट को कलेक्टर कहा जाता है। इसके बाद डीएम के पास पांच और शक्तियां होती हैं जिसकी वजह से वो और भी ज्यादा शक्तिशाली हो जाता है। वो ये है कि डीएम के अधीन एक जिले में जितने भी अधिकारी होते हैं, चाहे वो अधिकारी हों, चाहे वो अधीनस्थ हो या जूनियर अधिकारी हो या उसके अधीन कोई और ऑफिस हो, वो जिले के अंदर सभी अधिकारियों को एक जगह से दूसरी जगह निर्देशित कर सकता है।
डीएम के पास ये सबसे ताकतवर ताकत होती है इसके बाद डीएम को जो अगली ताकत दी जाती है वो ये कि अगर किसी सरकारी स्कूल में कोई भी टीचर बच्चों को पढ़ाने में ठीक से काम नहीं कर रहा है, उसके कंट्रोल में नहीं है तो वो इन सब चीजों का निरीक्षण करता है और पाता है कि लापरवाही हो रही है तो वो अपने बेसिक शिक्षा अधिकारी को देगा कि यहां पर कार्रवाई करें और अगर टीचर ठीक से पढ़ा नहीं पा रहे हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए यहां पर कलेक्टर को इतना दिया जाता है
और वो अपने जिले के सभी अफसरों की सैलरी, उनको जो भी सैलरी मिलती है, उसे सजा के तौर पर रोक भी सकता है कि चाहे उसके अंडर में कितने भी अफसर काम क्यों न कर रहे हों अगर अफसर लापरवाही करता है या उसकी बात नहीं सुनता है तो वो उसको मिल रही सैलरी रोक सकता है